खिलोने रंग-बिरंगे लेने का मेरा भी मन था,
यदि हाथ पकड़ने वाला होता कोई,
इन लम्हों को बनाता है खास यदि पिता हो पास,
दुनिया में है एक जादुगर (ek jadugar ) इकलौता वो ही ,
* * * * * * *
बाजार के रंग बिरंगे खिलोने पाकर,
सब बच्चों से मैं रखता छुपाकर,
मैं सबको बतलाता फिरता,
ये मेरे पिता की मेहरबानी है,
यादों में अपनी संजोकर रखता,
दिल में अपने बसाकर रखता,
यादों को उनकी याद करके जीना,
शायद ये ही जिंदगानी है,
एक प्रार्थना मेरी भी, एक आराधना मेरी भी,
यदि मेरी भी सुनने वाला होता कोई,
खिलोने रंग-बिरंगे लेने का मेरा भी मन था,
यदि हाथ पकड़ने वाला होता कोई,
इन लम्हों को बनाता है खास यदि पिता हो पास,
दुनिया में है एक जादुगर (ek jadugar ) इकलौता वो ही ,
* * * * * *
मेरी आँखों के आगे ये जो घेरें है काले-काले
थोड़ा आँखों का रंग भी लाल रहता है,
आ जाती है आज भी उनकी जो याद कभी,
मेरी आँखों से आज भी पानी बहता है ,
यादों के सिवा पास हमारे,
कोई और दुसरी निशानी नहीं,
उनके साथ बिताया होगा कोई लम्हा प्यार भरा,
मुझे आज भी याद अपनी जुबानी नहीं,
मेरे बेचैन दिल को भी सुकून मिल जाता ,
यदि उस वक्त दिल के तार छूने वाला होता कोई,
खिलोने रंग-बिरंगे लेने का मेरा भी मन था,
यदि हाथ पकड़ने वाला होता कोई,
इन लम्हों को बनाता है खास यदि पिता हो पास,
दुनिया में है एक जादुगर (ek jadugar ) इकलौता वो ही ,
* * * * * * * *
कुछ प्यारी -प्यारी सी बातें,
कुछ धुंधली -धुंधली सी यादें,
मेरे दिल में बसी हुई हैं,
जिसे सोचकर दिल डर जाता है,
जिसे सुनकर मेरा दिल भर आता है,
शायद ऐसा कोई घटना घटी हुई है,
कभी आने ना दी माँ ने अपने चेहरे पर परेशानी,
कभी सुनाई ना आप बीती कहानी,
एक पत्थर के जैसे खुद को बनाकर रखा है,
माँ रोने ना दे,रो-रोकर नयन खोने ना दे,
वो आंसू पोंछती रहती है,
यदि दिख जाए घर में रोता कोई,
खिलोने रंग-बिरंगे लेने का मेरा भी मन था,
यदि हाथ पकड़ने वाला होता कोई,
इन लम्हों को बनाता है खास यदि पिता हो पास,
दुनिया में है एक जादुगर (ek jadugar ) इकलौता वो ही ,
* * * * * * *
एक जादुगर (ek jadugar ) : पिता के जैसा
दिन भी काले थे कभी,
रातें तो होती काली है,
आज तक माँ ने की उस रब से जो भी प्रार्थनाएं,
वो प्रार्थनाएं ना लौटी खाली हैं,
पिता के बाद मेरा संसार,
माँ बनकर रहीं मेरी पहरेदार,
मेरे तन-मन में वो बस्ती है,
माँ बनकर रहती है मेरे जीवन की पतवार,
ठोकरों ने सिखा दिया है चलना,
मैं भी चाहता था पंख लगाकर उडना,
यदि मेरे पीछे भी खड़ने वाला होता कोई,
खिलोने रंग-बिरंगे लेने का मेरा भी मन था,
यदि हाथ पकड़ने वाला होता कोई,
इन लम्हों को बनाता है खास यदि पिता हो पास,
दुनिया में है एक जादुगर (ek jadugar ) इकलौता वो ही ,
* * * * * *
पिता के साथ पाँव के नीचे रहता है,
ये ऊँचा आसमान भी,
कम पड़ जाती है खुशियां इस सारे जहान की,
जो खुशियां मुझ से छूट गई,
मैं अपने जायों को दूंगा सभी,
उनको खुश देखकर मुझे अपने बचपन की,
यादें ताजा हो जाएंगी कभी कभी,
मेरे जीवन की कुछ खट्टी यादें,
मैं उनके बचपन के साथ मीठी करना चाहता हूँ,
मैं खेलता था बचपन में,
जिस मिट्टी से घर बनाकर,
मैं अपने दिल के सभी चाव पूरे,
उसी आंगन की मिट्टी से करना चाहता हूँ,
ये मिट्टी आम मिट्टी नहीं
इस पर किसी के पाँव की निशानी है
इस मिट्टी के कण-कण में,
उसकी छिपी कहानी है,
काश इस मिट्टी की कीमत,
समझानें वाला होता कोई,
खिलोने रंग-बिरंगे लेने का मेरा भी मन था,
यदि हाथ पकड़ने वाला होता कोई,
इन लम्हों को बनाता है खास यदि पिता हो पास,
दुनिया में है एक जादुगर (ek jadugar ) इकलौता वो ही ,
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छूट गई थी जो उड़ान आधी-अधूरी,
मैं वो ही उडान उनके बचपन के साथ,
फिर से पूरी करना चाहता हूँ,
मेरा संसार मेरा पहला प्यार,
आज भी मेरी प्यारी माँ है,
जब तक श्याम को मैं घर नहीं चला जाता हूँ,
माँ आज भी एड़ियां उठाकर,
अपनी आँखों पर हाथ रखकर,
देखती रहती मेरी राह है,
मुझे आज भी बहुत दुख होता है ये देखकर,
जब अपने रब जैसे पिता को है खोता कोई,
खिलोने रंग-बिरंगे लेने का मेरा भी मन था,
यदि हाथ पकड़ने वाला होता कोई,
इन लम्हों को बनाता है खास यदि पिता हो पास,
दुनिया में है एक जादुगर (ek jadugar ) इकलौता वो ही ,
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creater-राम सैणी
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