Doli

डोली ( Doli ) : एक पिता की तपस्या

मैं जब डोली ( Doli ) में बैठूंगी पिता जी,
मुझे हंसकर आप विंदा करना ,
हम कैसे सुख-दुख बांटा करते थे,
आप वो एक-एक पल लिखा करना ,
* * * * *
एक सपना देखा था जो आप ने,
उम्र सारी गुजार दी इस आस में,
एक दिन बेटी की डोली उठेगी मेरे घर से,
कभी पेट भरकर,कभी खाली पेट से,
दिन-रात मेहनत करके जो भी जोड़ा है,
खूब बढ़-चढ़कर दिया है,
किसी को ज्यादा लगे या थोडा है,
एक बेटी का कर्ज भी उतरेगा मेरे सर से,
आप ने मुझे पाला है फूलों की तरह,
कांटों से हमेशा बचाए रखा,
मेरी हर जिद्द पूरी की है आप ने,
मैं मुस्कराकर रही या मुंह फुलाए रखा,
आपका एक ही काम था,
मेरे चेहरे पर मुस्कान सदा रखना,
मैं जब डोली ( Doli ) में बैठूंगी पिता जी,
मुझे हंसकर आप विंदा करना ,
हम कैसे सुख-दुख बांटा करते थे,
आप वो एक-एक पल लिखा करना ,
* * * * *
आपकी पीठ पर सवारी करने का ,
सच पिता जी आनंद ही कुछ और था,
मुझे उम्रभर याद रहेगा पिता जी,
वो एक करामाती दौर था,
मैं भूलकर भी भूल ना पाऊंगी,
आपके साये में गुजरे हैं जो मेरे दिन ,
मुझे बहुत अजीब सा लगेगा पिता जी,
अब रहना पड़ेगा आप के बिन,
मैं जब भी आऊंगी आप से मिलने,
हर बार की तरह गले लगाकर मिला करना,
मैं जब डोली ( Doli ) में बैठूंगी पिता जी,
मुझे हंसकर आप विंदा करना ,
हम कैसे सुख-दुख बांटा करते थे,
आप वो एक-एक पल लिखा करना ,
* * * * *
मेरे दिल पर मेरे हंसते चेहरे पर,
थोड़ी खुशी थोड़े गम के निशान हैं,
मैं अपने दिल का टुकडा सौंप रहा हूँ ,
बेगाने हाथों में ,
ये ही सोच-सोच कर हम थोड़ा परेशान हैं,
मेरी छोटी सी गुड़िया कब बड़ी हो गई,
बातें भी करती हैं शयानी-शयानी,
आज सर झुकाकर सुनती है सब की,
जो कल तक करती थी,
बात-बात पर आनाकानी,
माँ के संस्कारों को जीवन में उतारना,
पिता के दिखाए मार्ग पर चला करना,
मैं जब डोली ( Doli ) में बैठूंगी पिता जी,
मुझे हंसकर आप विंदा करना ,
हम कैसे सुख-दुख बांटा करते थे,
आप वो एक-एक पल लिखा करना ,
* * * * *

डोली ( Doli ) : एक सपना जो विदाई से जुड़ा था 

 

 Doli
Doli
 

 

जो चारपाई पर बैठी-बैठी लेती थी,
एक पानी का कप भी,
आज से खुद संभालेंगी एक न‌ए घर को,
जिस बेटी से संभालता नहीं था,
सर पर दुपट्टा आज तक भी,
समंदर की लहरों के जैसे उठ रही हैं,
मेरे मन में डर की लहरें,
ईश्वर करे तेरे चेहरे पर छाई रहें,
हर घड़ी खुशी की बहारें,
खुलकर बताना,मत शर्माना अपने पिता से,
जब भी शिकवे-गिला करना,
मैं जब डोली ( Doli ) में बैठूंगी पिता जी,
मुझे हंसकर आप विंदा करना ,
हम कैसे सुख-दुख बांटा करते थे,
आप वो एक-एक पल लिखा करना ,
* * * * *
माँ से मत बताना पिता जी,
उनको हर घड़ी हंसकर दिखाना पिता जी,
वो हर बात दिल पर लेती है,
उनको प्यार से समझाकर रखना,
उनका हौंसला बढ़ाकर रखना,
वो हर बात दिल पर लेती है,
मैं एक पल में जुदा हो जाऊंगी,
अब आंगन में शोर ना मचाऊंगी,
ये ही सोच-सोच कर दिन-रात,
माँ आँखों में आंसू भर लेती है,
मेरे विदाई होने के बाद,
मेरी शहनाई बजने के बाद,
अपना घर लगेगा एकदम सुना-सुना,
ये ही सोचकर माँ मन छोटा कर लेती है,
माँ आपको देखकर हंसतीं है पिता जी,
इसलिए आप भी खिल-खिलाकर हंसा करना,
मैं जब डोली ( Doli ) में बैठूंगी पिता जी,
मुझे हंसकर आप विंदा करना ,
हम कैसे सुख-दुख बांटा करते थे,
आप वो एक-एक पल लिखा करना ,
* * * * *
मुझे बहुत याद आएगा वो बचपन का घर,
मुझे बहुत रूलाएगा वो बचपन का घर,
जब डोली की ओर बढ़ने लगेंगे मेरे कदम,
मेरे साथ-साथ चलना पिता जी,
आप भी मिलाकर अपने कदम,
यदि आँखों में आंसू आने लगें,
कुछ पल देखना आसमान की ओर,
दिल भी धक-धक करने लगे तो,
सीने में हवा का दबाव बनाना,
ऐड़ी-चोटी का लगाकर जोर,
मेरी यादों को सीने से लगाकर सदा रखना ,
मैं जब डोली ( Doli ) में बैठूंगी पिता जी,
मुझे हंसकर आप विंदा करना ,
हम कैसे सुख-दुख बांटा करते थे,
आप वो एक-एक पल लिखा करना ,
* * * * *
creation-राम सैणी
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