chehre ki thakan

चेहरे की थकान ( chehre ki thakan ) : दिल का समर्पण

आँखों पर काले घेरे हैं,
साफ-साफ दिखती है चेहरे की थकान ( chehre ki thakan ) ,
रंग गोरा ऊंचा है कद,
पिता अपने लिए जीता है कब,
चेहरे पर सजाकर रखता है एक झूठी मुस्कान,
* * * * * *
हे सुर्य देव,जरा झुककर देख,
पिता नंगें पाँव चलता है हरदम,
कभी छुप जाना बादलों में जाकर,
मत रखना धरती माँ को तपाकर,
जब भी आओ चलना मध्यम-मध्यम,
वो भूख बुझाए पानी पी कर,
सदा खुश रहता है परिवार के लिए जी कर,
हे मस्त पवन तुम्हें मेरा नमन,
एक प्रार्थना मेरी स्वीकार करो,
वो चलते-चलते जब थक जाए,
किसी पेड़ के नीचे कभी रुक जाए,
तुम अपनी मस्ती मे चलते रहना,
सदा शीतल बनकर तुम बहना,
पिता ही मेरी ज़मीं है पिता ही मेरा आसमान,
आँखों पर काले घेरे हैं,
साफ-साफ दिखती है चेहरे की थकान ( chehre ki thakan ) ,
रंग गोरा ऊंचा है कद,
पिता अपने लिए जीता है कब,
चेहरे पर सजाकर रखता है एक झूठी मुस्कान,
* * * * * *
पिता जब गहरी नींद में सो जाएं,
वो मीठे सपनों में खो जाए,
बस ध्यान रहे वो कच्ची नींद से ना जागे ,
ऐसा जहां मुझे कहाँ मिलेगा,
ऐसा आसमां मुझे कहाँ मिलेगा,
हम सबको बांधकर रखते हैं,
पिता के निस्वार्थ प्रेम के धागे,
वो मिट्टी से जुड़कर रहता है,
मिट्टी को माँ कहता है
सदा खुश रहता है देखकर मिट्टी के मकान,
आँखों पर काले घेरे हैं,
साफ-साफ दिखती है चेहरे की थकान ( chehre ki thakan ) ,
रंग सांवला ऊंचा है कद,
पिता अपने लिए जीता है कब,
चेहरे पर सजाकर रखता है एक झूठी मुस्कान,
* * * * * *
पिता के ज्यादा बड़े ख्वाब नहीं हैं,
उसकी सादगी का कोई जवाब नहीं है,
एकदम रहता है सादेपन में,
वो शोर-शराबा ज्यादा नहीं करता है,
कोई झूठा वादा नहीं करता है,
सदा रहता है अपनेपन मे,
मेहनत की खाता है हमेशा,
उसके चेहरे पर रहता है एक अलग ही आनंद,
तपती धूप में कड़ी मेहनत करने से,
सांवला हो गया है उसका गोरा रंग,
अपने सपनों को मारकर,
मुझे बनाकर रखता है धनवान,,
आँखों पर काले घेरे हैं,
साफ-साफ दिखती है चेहरे की थकान ( chehre ki thakan ) ,
रंग गोरा ऊंचा है कद,
पिता अपने लिए जीता है कब,
चेहरे पर सजाकर रखता है एक झूठी मुस्कान,
* * * * * *

चेहरे की थकान ( chehre ki thakan ) :  निस्वार्थ प्रेम
chehre ki thakan
chehre ki thakan

खुद के हाथों पर है भरोसा,
थोड़ा किस्मत को भी मानता है,
जो मिला उस में खुश रहता है,
वो ईश्वर को भी बहुत मानता है,
मेरे चेहरे को जब छूता है पिता,
अपने खुरदुरे हाथों से,
उस वक्त मैं महसूस करता हूँ,
पिता गुजरता है कैसे-कैसे हालातों से,
मेरे दिल में उसके लिए बढ़ जाता है,
पहले से ज्यादा सम्मान,
आँखों पर काले घेरे हैं,
साफ-साफ दिखती है चेहरे की थकान ( chehre ki thakan ) ,
रंग सांवला ऊंचा है कद,
पिता अपने लिए जीता है कब,
चेहरे पर सजाकर रखता है एक झूठी मुस्कान,
* * * * *
वो आज भी प्रणाम करता है,
खेतों की मिट्टी को छूकर,
वो खाने की थाली को नमन करता है,
सबसे पहले अपना सर झुकाकर ,
वो छोटी-मोटी समस्याओं को,
चुटकी बजाकर हल कर देता है,
वो हर मुश्किल को अपने आगे ,
एक पल में निर्बल कर देता है,
तेज दिमाग लंबी सोच,
चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान,
आँखों पर काले घेरे हैं,
साफ-साफ दिखती है चेहरे की थकान ( chehre ki thakan ) ,
रंग गोरा ऊंचा है कद,
पिता अपने लिए जीता है कब,
चेहरे पर सजाकर रखता है एक झूठी मुस्कान,
* * * * * *
हे काले-काले बादलों करना मुझ पर उपकार,
मेरी एक छोटी सी प्रार्थना करना तुम स्वीकार,
राहों की तपती मिट्टी पर,
तुम बिखेरना अपना शीतल जल,
उसके पाँव को ना हो पीडा कोई,
मुझे चिंता रहती है हर पल,
पिता को परेशान देखकर,
मेरी माँ भी परेशान रहती है,
उसका चेहरा रहे खिला-खिला,
माँ हर रोज ईश्वर से ये ही कहती हैं,
उसका ध्यान रखना हर घड़ी,
जो रखता है हम-सब का ध्यान,
आँखों पर काले घेरे हैं,
साफ-साफ दिखती है चेहरे की थकान ( chehre ki thakan ) ,
रंग सांवला ऊंचा है कद,
पिता अपने लिए जीता है कब,
चेहरे पर सजाकर रखता है एक झूठी मुस्कान,
* * * * * *
creation-राम सैणी
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