पिता का कठोर प्रेम (kathor prem) : जीवन संवार दे
मुझे हर सुबह जल्दी वो जगा देता है, नींद आँखो से मेरी वो भगा देता है, क्यों हर पिता का […]
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मुझे हर सुबह जल्दी वो जगा देता है, नींद आँखो से मेरी वो भगा देता है, क्यों हर पिता का […]
ऐ काली घटा जरा धीरे से बरस, माँ सो रही है कहीं जाग ना जाए, ऐ ठण्डी हवा ज्यादा शोर
पहली रोटी हो माँ के नाम (maa ke naam), पहला निवाला जाए माँ के मुख में, हम क्यों भूल जाते
हम लाखों दुआएं डालेंगे, अपनी बेटी की झोली में, विदाई की घड़ी (vidai ki ghadi) आएगी एक दिन, बेटी हमारी
हर किसी की नहीं होती, परियों जैसी बेटियां पालने की औकात, हर किसी के हिस्से नहीं आती, ये उस रब
थोड़ा डर था थोड़ी बेचैनी, जब पहली बार मैं चली अकेली, थोड़ा डर थोड़ी मुस्कान, ये थी मेरे साहस की,
मैं पिता की दौलत (pita ki daulat ) पर नहीं जीता हूँ, खुद कमाकर खाने वाला हूँ, मैं नहीं डरता
मेरे व्यहवार में मिलती हैं , उनके संस्कारों की झलक (sanskaron ki jhalak ), मैं तारीफ करूं अपनी बातों में,
मतलब के सब रिश्ते नाते, मतलब की ये दुनियादारी है, बेमतलब प्यार करे मेरी माँ, माँ की सूरत (maa ki
जब तक चलेगी माँ की सांसें, वो मेरा भला ही चाहेगी, ये मेरी माँ का अमर आशीर्वाद (amar ashirvad )