चूल्हा-चौका ( chulha chounka ) : एक नई दृष्टि
मेरे पापा हैं सबसे धनवान, बड़ी माँ तुम क्यों रहती हो परेशान, मुझे नहीं सिखना है चूल्हा-चौका ( chulha chounka […]
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मेरे पापा हैं सबसे धनवान, बड़ी माँ तुम क्यों रहती हो परेशान, मुझे नहीं सिखना है चूल्हा-चौका ( chulha chounka […]
ये सारा जहान है सूना, हर ऊँचा मकान है सूना, सूना रहेगा ये नीला आसमां, आंगन वीरान है घर सुनसान
खिल-खिलाकर हंसते रहना, अपने से बड़ों को जी-जी कहना, मेरी माँ का बड़ा प्यारा व्यवहार है, पिता का नर्म
फिर से दे मुझे माँ रोटी का रोल ( roti ka role ) बनाकर, मिट्टी के चुल्हे पर गोल-गोल
आँखों पर काले घेरे हैं, साफ-साफ दिखती है चेहरे की थकान ( chehre ki thakan ) , रंग गोरा ऊंचा
चल लाली ( chal lali ) तुझे शैर कराऊं, अपने खेत-खलिहान की, चिड़ियों को चहकते देखना, परींदो को उड़ते देखना, वो
आसमान धरती पर आ जाए, चाहे रात में सूरज उग जाए, माँ कभी रूठती नहीं ( maa kabhi roothati nahin
माँ मिलती है किस बाजार में, वो बचपन की मीठी लोरी ( bachpan ki meethi lori ), मैं उसे
माँ बहुत कठीन है जीवन की डगर, मुझे फिर से अपनी बाहों में पकड़, माँ मुझे फिर से थाम
आसमानी परी नहीं बेटी तूं मर्दानी है, शक्ति का अवतार ( shakti ka avtar ) है तूं, फूल नहीं