google.com, pub-4922214074353243 DIRECT, f08c47fec0942fa0
बेटी की शान (beti ki shan )

बेटी की शान (beti ki shan ) : दुपट्टे का सम्मान

एक बेटी का है अभिमान,
सर पर दुपट्टा बेटी की शान (beti ki shan ) ,
खानदान से संस्कार मिलें है ,
संस्कारों में बसता है हिंदुस्तान,
* * * *
मैं आज के युग में जीती हूँ,
मैं शिक्षा-दीक्षा भी लेती हूँ,
संस्कार पुरातन हैं मेरे,
न‌ई सोच है नया माहोल,
हर बात में करती हूँ नाप-तोल,
पाँव धरातल पर हैं मेरे,
मैं एक दुपट्टे की कीमत को,
रुपये -पैसे में नहीं तोलती हूँ,
मेरे बोल हैं मीठे शरबत के जैसे,
जितनी जरूरत है बस उतना मुंह खोलतीं हूँ,
मात-पिता है मेरी नज़रों में आज भी महान,
एक बेटी का है अभिमान,
सर पर दुपट्टा बेटी की शान (beti ki shan ) ,
खानदान से संस्कार मिलें है ,
संस्कारों में बसता है हिंदुस्तान,
* * * *
ये मेरी माँ के संस्कारों का जादू है,
जो मेरे सर चढ़कर बोलता है,
मेरी माँ का सीना चौड़ा हो जाता है ,
जब मेरे सर पर दुपट्टा लहराता है,
दुपट्टा शान है मेरी लाज-शर्म का,
दुपट्टा शान है स्वभाव नरम का,
मात-पिता का पहरा हो,
रिश्ता इतना गहरा हो‌ की,
बिन मात-पिता सब लगे बेजान,
एक बेटी का है अभिमान,
सर पर दुपट्टा बेटी की शान (beti ki shan ) ,
खानदान से संस्कार मिलें है ,
संस्कारों में बसता है हिंदुस्तान,
* * * *
मेरे दुपट्टे का एक -एक धागा,
माँ ने बनाया है प्यार की चाशनी में डुबोकर,
मेरा रंग -बिरंगा दुपट्टा है हवादार ,
उस पर लगाई है माँ ने एक चमकीली तार,
ये मेरी माँ के हाथों की कला है,
बिन दुपट्टा सर लगता है खाली,
बोझ नहीं है सर पर दुपट्टा,
ये न‌ए जमाने की सोच है काली,
जब मैं सर पर लेती हूँ चमकीला दुपट्टा,
चारों ओर फैल जाता उजाला है,
दुपट्टा है एक जिम्मेदारी,
इसका दिल से है सम्मान,
एक बेटी का है अभिमान,
सर पर दुपट्टा बेटी की शान (beti ki shan ) ,
खानदान से संस्कार मिलें है ,
संस्कारों में बसता है हिंदुस्तान,
* * * *

बेटी की शान (beti ki shan ) : संस्कारों की शक्ति
बेटी की शान (beti ki shan )
बेटी की शान (beti ki shan )

मेरे दुपट्टे में जड़े हैं माँ ने सितारे,
अपने माथे की बिंदिया के जैसे,
मैं दुपट्टा लेकर लगती हूँ गुड़िया की तरह,
जो अभी-अभी जागी हो नींदियां से जैसे,
मेरा दुपट्टा लहराता है जब घर के आंगन में,
मेरी माँ का चेहरा खुशियों से लाल हो जाता है,
मैं माँ को सदा खुश देखना चाहती हूँ,
ऐसा मेरा ख्याल हो जाता है,
हमारे घर की माँ है जान,
माँ के बस्ते हैं मुझ में प्राण,
एक बेटी का है अभिमान,
सर पर दुपट्टा बेटी की शान (beti ki shan ) ,
खानदान से संस्कार मिलें है ,
संस्कारों में बसता है हिंदुस्तान,
* * * *
बेटी वहीं जो माँ के साथ चले,
बेटी वहीं जिसका माँ के दिल से दिल मिले,
माँ-बेटी का रिश्ता हो जैसे कोई सखी-सहेली,
रिश्तों की नींव हो मजबूत,
घर छोटा हो या ऊँची हवेली,
एक माँ अपनी बेटी पर गर्व करे,
जो सबके दिलों की लाडली हैं,
माँ के जज्बातों की कद्र हो,
हर पल माँ की फिक्र हो,
जो माँ के दिल की कली है,
माँ भी जिस बेटी पर करती है अभिमान,
एक बेटी का है अभिमान,
सर पर दुपट्टा बेटी की शान (beti ki shan ) ,
खानदान से संस्कार मिलें है ,
संस्कारों में बसता है हिंदुस्तान,
* * * *
माँ के संस्कारों का जिसके जीवन पर असर है,
जिस बेटी का दुपट्टे से ढका हुआ सर है,
वो माँ खुद को खुशकिस्मत मानती है,
दुपट्टा लेने में कैसी शर्म,
ये दुपट्टा है अनोखा बंधन,
दुपट्टे से है खानदान की पहचान,
जो बेटियां यह मानतीं हैं,
हर कदम रखना पड़ता है देखभाल कर,
जब बेटियां हो जाती है जवान,
एक बेटी का है अभिमान,
सर पर दुपट्टा बेटी की शान (beti ki shan ) ,
खानदान से संस्कार मिलें है ,
संस्कारों में बसता है हिंदुस्तान,
* * * *
creater-राम सैणी
must read:माँ की छाँव में सुकुन (maa ki chhanv me sukun ) : मीठी नींद
must read:पेट की भूख (pet ki bhookh ) और माँ की सच्चाई

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top