बेटी की डोली (beti ki doli )

बेटी की डोली (beti ki doli ) : प्यार और विदाई की कहानी

बेटी की डोली (beti ki doli ) के वो पावन पल ,
याद आएगा उसका प्यार-दुलार,
जब बेटी को डोली में बिठाऊंगा,
खुद को संभालूंगा ना जाने कैसे,
आँखों से आंसू मै रोक ना पाऊंगा,
*        *          *           *         *
एक अलग ही एहसास होता है,
बेटी के प्यार दिखाने का,
हर माँ-बाप का सपना होता है,
बेटी को डोली में बिठाने का,
इस खास पल के लिए,
बेटी के जन्म से ही करनी पड़ती है तैयारी,
उस दिन का बेसब्री से करते हैं इंतजार,
जब डोली में बैठेगी बेटी हमारी,
कुछ पल बहेंगे आँखों से आंसू
उसकी यादों को याद करके,
बेटी को पास बिठाकर माँ-बाप,
बातें करना चाहते हैं जी भरके,
यादों का एक सैलाब उमड़ पड़ता उस खास पल में ,
परिवार का दिल जितना है कैसे ,
मैं उसको प्यार से समझाऊंगा ,
याद आएगा उसका प्यार-दुलार,
जब बेटी को डोली में बिठाऊंगा,
खुद को संभालूंगा ना जाने कैसे,
आँखों से आंसू मै रोक ना पाऊंगा,
*        *          *           *         *

मन के अंदर एक कशमकश -सी चलतीं रहती हैं,

बेटी के न‌ए घर के लिए,
बार-बार एक ही बात खलती रहती है,
बेटी के न‌ए घर के लिए,
अंदर से होगी एक बेचैनी पर,
बाहर से मैं मुस्करा कर दिखाऊंगा,

याद आएगा उसका प्यार-दुलार,
जब बेटी को डोली में बिठाऊंगा,
खुद को संभालूंगा ना जाने कैसे,
आँखों से आंसू मै रोक ना पाऊंगा,
*        *          *           *         *
याद आएंगी जब उसकी बचपन की शैतानियां,
आँखे कुछ पल के लिए भीग जाएंगी,
कैसे करती थी अपनी मनमानियां,
अब वो ही अपने नए घर की जिम्मेदारी उठाएगी,
ये परम्परा है वर्षों पुरानी,
एक ना एक दिन ये जिम्मेदारी,
हम सबको है उठानी,
बेटी एक मेहमान के जैसी हो जाती है,
जब मेंहदी से रंग जातें हैं उसके हाथ,
खुशी के मिले -जुले से भाव होते हैं,
उसके मासूम से चेहरे पर,
बेटी रहेगी हमेशा हमारे दिल के पास,
बेटी की डोली उठाना हर मात-पिता का सपना ,
आँखों से बह जाएगा आंसुओं का समंदर ,
जब बेटी को डोली में बिठाने के लिए ,
मैं अपना हाथ बढ़ाऊंगा ,
याद आएगा उसका प्यार-दुलार,
जब बेटी को डोली में बिठाऊंगा,
खुद को संभालूंगा ना जाने कैसे,
आँखों से आंसू मै रोक ना पाऊंगा,
*        *          *           *         *

बेटी की डोली (beti ki doli ) : पिता के प्रेम की मिठास

घर पड़े हैं हमारे,जब से बेटी के शुभ कदम,

हम सबके चेहरे पर खुशियों के रंग,
बिखरे रस्ते हैं हरदम,
सबसे ज्यादा प्यार बेटी के हिस्से में आए,
हमारी आंखों में चमक आ जाती है,
जब भी बेटी मंद-मंद मुस्काए,
डोली में बिठाने से पहले,
मैं उसका मनोबल बढ़ाऊंगा,

बेटी की डोली (beti ki doli ) के वो पावन पल ,
याद आएगा उसका प्यार-दुलार,
जब बेटी को डोली में बिठाऊंगा,
खुद को संभालूंगा ना जाने कैसे,
आँखों से आंसू मै रोक ना पाऊंगा,
*        *          *           *         *
जहाँ भी रहे बेटी हमारी,
खुशियां हों उसके दामन में इस जहां की सारी,
सुख के पल हों जीवन में इतने ज्यादा,
मायके की उसे याद ना आए ,
प्यार के बादल उसके जीवन में,
सदा के लिए छा जाएं,
माता -पिता के ये ही है दिल की दुआ ,
बेटी राज करे उस घर में सदा ,
बेटी हो जाती है मजबूत पहले से ज्यादा,
जब भी कभी उसे ग़म ने छुआ है,
दुआओं की मैं उस पर करूंगा बौछार ,
सरे जहां की खुशियां मैं उसके क़दमों में बिछाऊंगा ,
बेटी की डोली (beti ki doli ) के वो पावन पल ,

याद आएगा उसका प्यार-दुलार,
जब बेटी को डोली में बिठाऊंगा,
खुद को संभालूंगा ना जाने कैसे,
आँखों से आंसू मै रोक ना पाऊंगा,
*        *          *           *         *

उसका मुख चमकता रहे सदा,

चमकते सितारों की तरह,
हर पल गुजरे बेटी का,
महकते फूलों की तरह,
हमारी बेटी है बड़ी प्यारी,
जिस पर अभिमान करें परिवार हमारा,
बचपन से है नेक दिल सदाचारी,आ
जीती है सादा जीवन
ये ही सादगी है उसका गहना प्यारा,
वो आवाज देंगी एक मुझको,
मैं दौड़ा चला आऊंगा,

बेटी की डोली (beti ki doli ) के वो पावन पल ,
याद आएगा उसका प्यार-दुलार,
जब बेटी को डोली में बिठाऊंगा,
खुद को संभालूंगा ना जाने कैसे,
आँखों से आंसू मै रोक ना पाऊंगा,
*        *          *           *         *
creater -राम सैणी

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