google.com, pub-4922214074353243 , DIRECT, f08c47fec0942fa0
बेशुमार क़र्ज़ (beshumar karz)

बेशुमार क़र्ज़ (beshumar karz) : माँ के प्यार के

बेशुमार क़र्ज़ (beshumar karz) : मैं चुकाऊं कैसे

 

माँ तेरे बेशुमार कर्ज (beshumar karz) हैं मुझ पर उधार ,
मैं जन्म लूं चाहे हजार,
ये कर्ज ना आज तक उतार पाया कोई,
फिर मैं कैसे दूं उतार,
*      *       *       *
जितने भी नाम पावन हैं इस जग में,
उनमें सबसे ऊँचा नाम तुम्हारा दर्ज है माँ,
तुम्हारे कोख जिसमें मैंने पहली सांस ली,
उस कोख का मुझ पर पहला कर्ज है माँ,
जो दर्द सहा है माँ तुम ने मेरी पैदाइश पर,
मैं उस दर्द का मोल चुकाऊं कैसे,
मेरे गीले बिस्तर पर पूरी रात गुजारी,
मैं उन रातों का मोल चुकाऊं कैसे,
माँ मैं कैसे चूका पाऊंगा ये तुम्हारे परोपकार ,

माँ तेरे बेशुमार कर्ज (beshumar karz) हैं मुझ पर उधार ,
मैं जन्म लूं चाहे हजार,
ये कर्ज ना आज तक उतार पाया कोई,
फिर मैं कैसे दूं उतार,
*      *       *       *

मेरे लिए हर घड़ी तुम रहती तैयार हो माँ,
मेरे परवरिश तुम ने की है दिल -जान से,
उस परवरिश का दूजा कर्ज उधार है माँ,
अपने मन का चैन गंवाया है तुम ने,
ना दिन में कभी आराम किया,
भूल ग‌ई तुम खुद को भी,
खडी रही एक पहरेदार की तरह,
मेरे सर की हर मुश्किल को नाकाम किया,
माँ तुम्हारा जीवन है महान्,
सबसे ऊपर रहेगा माँ तुम्हारा सम्मान,
माँ तुम हो वफ़ा की एक मूरत,
तुम्हारे जैसा नहीं इस जग मे दुजा कोई वफादार
माँ तेरे बेशुमार कर्ज (beshumar karz) हैं मुझ पर उधार ,
मैं जन्म लूं चाहे हजार,
ये कर्ज ना आज तक उतार पाया कोई,
फिर मैं कैसे दूं उतार,
*      *      *       *
रब के आगे करते देखा है,
मैंने हर घड़ी फरियाद तुझे,
सीने से लगाकर माँ तुम ने,
जो पावन दूध पिलाया अमृत -सा,
तीसरा क़र्ज़ उस दूध का,
हर पल रहता है याद मुझे,
मेरे मुख में सबसे पहले जो डाला तुम ने,
उस पावन दूध से ही माँ पाला तुम ने,
माँ तुम्हारा वो दूध दौड़ता है,
रगों में मेरी लाल लहु बनकर ,
आज मुश्किलें के आगे खड जाता हूँ,
मैं पर्वत के जैसा बनकर,
माँ तुम्हारी शिक्षा-दीक्षा ने दिया है मेरा जीवन संवार ,
माँ तेरे बेशुमार कर्ज (beshumar karz) हैं मुझ पर उधार ,
मैं जन्म लूं चाहे हजार,
ये कर्ज ना आज तक उतार पाया कोई,
फिर मैं कैसे दूं उतार,
*      *      *       *

बेशुमार क़र्ज़ (beshumar karz) : अनमोल फ़र्ज़

भूल हो कोई अगर जीवन में मुझ से,
दे -देना माँ मुझको माफ़ी,
जिन बांहों का झूला बनाकर,
माँ तुम ने झूलाया है मुझको,
तेरी उन बांहों का चौथा कर्ज है बाकी ,
मुझे अपनी बाहों के घेरे में लेकर,
मुझे अपने सीने की गर्माहट दे-देकर,
मुझे दूर रखा हर समस्या से,
हीरे के जैसे तराश दिया मुझको,
माँ तुम ने अपनी तपस्या से,
मैं हर जन्म हर घड़ी रहूँगा,
माँ तेरी इस तपस्या का कर्जदार,
माँ तेरे बेशुमार कर्ज (beshumar karz) हैं मुझ पर उधार ,
मैं जन्म लूं चाहे हजार,
ये कर्ज ना आज तक उतार पाया कोई,
फिर मैं कैसे दूं उतार,
*      *       *       *
कितनी पावन है वो चौखट माँ,
जिस चौखट पर पाँव पड़े माँ तेरा,
कर्ज पांचवें पर माँ हर पल ध्यान है मेरा,
जिस हाथों को थामकर माँ,
मैं चलता था पीछे तेरे,
वो हाथ हैं पूजा के काबिल,
उन हाथों को माँ हर पल सर पर रखना मेरे,
तुम हर घड़ी भारी पड़ी हो माँ ,
ग़म से भरे हालातों पर ,
तुम्हारा छटा(6वां) कर्ज है माँ,
मेरी सर-आंखों पर,
वो आँखें जो जान लें,
मेरे दिल में छिपे हर राज को,
मेरे माथे की लकीरें पड़ लेती हो ,
माँ तुम कितनी जांबाज हो,
तेरी इन आँखों में माँ मेरे लिए समाया है प्यार ही प्यार ,

माँ तेरे बेशुमार कर्ज (beshumar karz)हैं मुझ पर उधार ,
मैं जन्म लूं चाहे हजार,
ये कर्ज ना आज तक उतार पाया कोई,
फिर मैं कैसे दूं उतार,

*      *      *       *
तुम हो माँ मेरा भगवान,
तुम्हारा सातवां कर्ज है शिक्षा का दान,
शिक्षक बनकर तुम ने मुझे,
अच्छे -बुरे की पहचान कराई,
मेरे जीवन की कठीन राहें माँ,
तुम ने आसान बनाई,
मैं गुणगान सदा तुम्हारा गाऊंगा,
सात जन्म सात कर्ज,
माँ मैं चुका तो नहीं पाऊंगा,
फिर भी मेरी कोशिश रहेगी हर बार,
माँ तेरे बेशुमार कर्ज  (beshumar karz) हैं मुझ पर उधार ,
मैं जन्म लूं चाहे हजार,
ये कर्ज ना आज तक उतार पाया कोई,
फिर मैं कैसे दूं उतार,
*      *      *      *
creater -राम सैणी
must read :बेटी की प्रतिज्ञा

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top