begani beti

बेगानी बेटी ( begani beti ) : अपना दर्द

घर में एक बेटी होना भी लाजमी है,
तभी बेगानी बेटी ( begani beti ) का दर्द समझेगा हर आदमी है,
हर रोज करके नया बहाना,
दुसरे की बेटी पर उंगली उठाना,
यूं लगता है जैसे आपके माता-पिता की,
परवरिश में जरूर कोई कमी है,
* * * *

बिन जांचें-परखे फैंसला सुनाना,
आपकी छोटी सोच को दिखाता है,
बेटी को पालना हर किसी के नशीब में नहीं है,
जिसके पिछले जन्म का कर्ज है बाकी,
बेटी उसी आदमी के घर है आती,
बेटी सौगात है खैरात नहीं,
बेटी के चाव पूरे करना,
हर किसी की औकात नहीं,
बेटी आंगन में खिलतीं हुईं एक प्यारी कली है,
घर में एक बेटी होना भी लाजमी है,
तभी बेगानी बेटी ( begani beti ) का दर्द समझेगा हर आदमी है,
* * * *
सोच-समझकर कुछ बोलना,
जितनी जरूरत है बस उतना ही मुंह खोलना,
बेटी मात-पिता के दिल की धड़कन होती है,
उसे साफ नीयत से निहारना,
ग़लत लफ़्ज़ों से मत पूकारना,
बेटी धन कीमती है,
घर में एक बेटी होना भी लाजमी है,
तभी दुसरे की बेटी का दर्द समझेगा,
हर आदमी है,
हर रोज करके नया बहाना,
दुसरे की बेटी पर उंगली उठाना,
यूं लगता है जैसे आपके माता-पिता की,
परवरिश में जरूर कोई कमी है,
* * * *
अपनी बेटी की सूरत देखना,
एक बेगानी बेटी में भी,
बेगानी बेटी पर उंगली उठाओगे तो,
एक दिन वो उंगली आप की ओर भी घूमेगी,
हर नज़र में हो बेटी का सम्मान,
जब भी घर से निकले ,
खुद को सुरक्षित समझे,
काश ऐसा हो जाए ये सारा जहान,
बेटी डोर है रेशम की,
वो फूल महकता है बगीचे का,
बेगानी बेटी ( begani beti ) की इज्जत है अपनी इज़्ज़त,
फिर बेटी को है कैसा डर,
अगर इस तरह कोई सोचेगा,
तो फिर बेटी का निडर होना लाजिमी है,
* * * *

बेगानी बेटी ( begani beti ) : बेटी का सम्मान करो
begani beti
begani beti

पीड पराई भी जानिये,
हर बेटी को अपनी बेटी मानिये,
मेरे घर से हो ये शुरुआत,
हर बेगानी बेटी को मैं दूं ये सौगात,
हर हाथ उठेगा उसकी हिफाजत में,
हर पिता बनेगा पहरेदार,
हर घर में एक प्यारा दुपट्टा,
सर पर होना बेटी के लाजमी है,
घर में एक बेटी होना भी लाजमी है,
तभी बेगानी बेटी ( begani beti ) का दर्द समझेगा हर आदमी है,
हर रोज करके नया बहाना,
दुसरे की बेटी पर उंगली उठाना,
यूं लगता है जैसे आपके माता-पिता की,
परवरिश में जरूर कोई कमी है,
* * * *
एक पिता का सम्मान है बेटी,
एक पिता की जान है बेटी,
इज्जत है सबकी एक बराबर,
किसी की बड़ी ना किसी की छोटी है,
एक बेटी की परवरिश करना,
उसके लिए हर पल हाजिर रहना,
हमें बेगानी बेटी की कद्र करना सिखाएगा,
एक बेटी को राजकुमारी बनाकर रखना,
उसे पलकों पर बिठाकर रखना,
हमें बेगानी बेटी का आदर करना सिखाएगा,
बेटियां कल भी पूजा के काबिल थी,आज भी हैं,
घर में एक बेटी होना भी लाजमी है,
तभी बेगानी बेटी ( begani beti ) का दर्द समझेगा हर आदमी है,
हर रोज करके नया बहाना,
दुसरे की बेटी पर उंगली उठाना,
यूं लगता है जैसे आपके माता-पिता की,
परवरिश में जरूर कोई कमी है,
* * * *
जिस दिन बेगानी बेटी को बेटी कहना आ जाए,
उस दिन चारों ओर प्यार का उजाला होगा
जिस दिन बेगानी बेटी के लिए,
आँखों में आंसू बहना आ जाए,
उस दिन चारों ओर प्यार का उजाला होगा,
बेटी की रक्षा हो हम-सब का धर्म,
बेटी के लिए हो व्यवहार नर्म,
घर का खाली-खाली लगना,
बिना बेटी के लाजमी है,
घर में एक बेटी होना भी लाजमी है,
तभी बेगानी बेटी ( begani beti ) का दर्द समझेगा हर आदमी है,
हर रोज करके नया बहाना,
दुसरे की बेटी पर उंगली उठाना,
यूं लगता है जैसे आपके माता-पिता की,
परवरिश में जरूर कोई कमी है,
* * * *
creation- राम सैणी
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