सुन बहन की पुकार ( bahan ki pukar ) ,
दिल से जुड़े दिल के तार,
मात-पिता की तरह मुझको भईया,
अपनी पलकों पर बिठाकर रखना,
इस घर में गुजरा है मेरा बचपन ,
मुझे अपने दिल में सदा बसाकर रखना,
* * * * *
मुझे एक छोटा-सा तोहफा चाहिए,
जब भी आए रक्षा-बंधन का त्योहार,
मैं आपकी कलाई पर बांधूगी घर आकर,
एक रेशम के धागे में भाई-बहन का प्यार,
मात-पिता की तरह रखवाला बनना,
मेरे चेहरे का उजाला बनना,
इतना तो हक़ बनता है,
मेरा पूछते रहना हमेशा हाल-चाल,
हर सर्दी में दिलाना एक गर्म साल,
इतना तो हक़ बनता है,
मैं जब भी मायके आऊं मिलने,
मुस्कराकर गले मिलना मुझे हर बार,
सुन बहन की पुकार ( bahan ki pukar ) ,
दिल से जुड़े दिल के तार,
मात-पिता की तरह मुझको भईया,
अपनी पलकों पर बिठाकर रखना,
* * * * *
ये हमारे मात-पिता के सपनों का घर है,
इस दिल पर उनका गहरा असर है,
कभी गुस्से से कभी प्यार से,
उनके जैसे डांटना थोड़ा-थोड़ा,
कभी भुले से भी मेरे कोमल दिल पर,
मत मारना कड़वी जुबान का गर्म हथौड़ा,
मुझे लेन-देन का मोह नहीं है,
सच्चा प्यार असल में वो नहीं है,
रिश्ते होते हैं एक कच्ची डोर की तरह,
इस डोर को सदा बचाकर रखना,
सुन बहन की पुकार ( bahan ki pukar ) ,
दिल से जुड़े दिल के तार,
मात-पिता की तरह मुझको भईया,
अपनी पलकों पर बिठाकर रखना,
इस घर में गुजरा है मेरा बचपन ,
बस मुझे अपने दिल में सदा बसाकर रखना,
* * * * *
अपने बच्चों के कोमल दिल में,
मेरी एक प्यारी मूरत बनाकर रखना,
भाई-बहन के रिश्तों की कीमत,
बच्चों को समझाकर रखना,
उन्हें बताना घर में मेरा किरदार क्या है,
भाई-बहन का ये सबसे अनोखा बंधन है,
हर गर्मी-सर्दी में मुझे बुलाना,
मैं ना आ सकूं तो खुद आ जाना,
आपके आने से भईया यूं लगता है जैसे,
हमारे सपने हों गए हों साकार,
सुन बहन की पुकार ( bahan ki pukar ) ,
दिल से जुड़े दिल के तार,
मात-पिता की तरह मुझको भईया,
अपनी पलकों पर बिठाकर रखना,
* * * * *
बहन की पुकार ( bahan ki pukar ) : मेरी परछाईं तू

मात-पिता का किरदार भईया,
अब आपको निभाना होगा,
मेरे नाज-नखरों को अब आपको उठाना होगा,
मैं भी बैठूंगी अब शान से,
अपनी सखी-सहेलियों के साथ,
मात-पिता रखते थे सर पर जैसे,
अब भईया रखतें हैं मेरे सर पर हाथ,
अपने घर की दीवार पर,
मेरी एक तस्वीर लगाकर रखना,
बुआ-भतीजे का रिश्ता है क्या,
ये उनको याद दिलाकर रखना,
सुन बहन की पुकार ( bahan ki pukar ) ,
दिल से जुड़े दिल के तार,
मात-पिता की तरह मुझको भईया,
अपनी पलकों पर बिठाकर रखना,
इस घर में गुजरा है मेरा बचपन ,
बस मुझे अपने दिल में सदा बसाकर रखना,
* * * * *
भाई-दूज के त्योंहार पर,
सूरज उगने से पहले आ जाना,
मैं देखूंगी आपकी राह भईया,
सुबह से भुखे पेट रहकर,
जल्दी से आकर मेरे घर,
अपने माथे पर तिलक करा जाना,
भाई-बहन में क्या पर्दा है,
जो भी तुम्हारी श्रद्धा है,
मैं उसे माथे से लगाकर सम्मान करूगी,
तुम जियो हजारों साल,
हर पल रहो मालामाल,
मान-सम्मान मिले तुमको बेशुमार,
सुन बहन की पुकार ( bahan ki pukar ) ,
दिल से जुड़े दिल के तार,
मात-पिता की तरह मुझको भईया,
अपनी पलकों पर बिठाकर रखना,
* * * * *
मैं दिल से लाखों दुआएं दूंगी,
मैं जब भी घर आऊंगी भईया,
मुझे वो ही अपना बचपन का घर लगना चाहिए,
माँ की जगह भाभी और पिता की जगह आप,
मुझे रिश्तों में वो ही अपनापन लगना चाहिए,
मुझे रिश्तों में मीठापन चाहिए,
चेहरे पर प्यारी मुस्कान,
अपने बच्चों के जैसे रखना मेरा भी ध्यान,
रिश्तों को बोझ नहीं फूलों के जैसे बनाकर रखना
सुन बहन की पुकार ( bahan ki pukar ) ,
दिल से जुड़े दिल के तार,
मात-पिता की तरह मुझको भईया,
अपनी पलकों पर बिठाकर रखना,
इस घर में गुजरा है मेरा बचपन ,
बस मुझे अपने दिल में सदा बसाकर रखना,
* * * * *
creation -राम सैणी
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