माँ मिलती है किस बाजार में,
वो बचपन की मीठी लोरी ( bachpan ki meethi lori ),
मैं उसे लेकर आऊं कैसे,
माँ तेरी मीठी लोरी का,
मैं मोल चुकाऊं कैसे,
* * * *
मैं बाज़ार में हर रोज घूमने,
सुबह-शाम जाया करता हूँ,
मैं हर बडी दुकान में जाकर,
चारों ओर नजर घूमाकर ये बतलाया करता हूँ,
जो माँ सुनाती है मीठी लोरी बचपन में,
मुझे वो ही लोरी चाहिए हूबहू,
मै उसे बार-बार सुनना चाहता हूँ,
जिस में हो माँ के प्यार की खुशबू,
मुझे फिर से सीने से लगाओ माँ,
मुझे वो ही लोरी सुनाओ माँ,
मैं फिर से बचपन वाला महोल बनाऊं कैसे,
माँ मिलती है किस बाजार में,
वो बचपन की मीठी लोरी ( bachpan ki meethi lori ),
मैं उसे लेकर आऊं कैसे,
माँ तेरी मीठी लोरी का,
मैं मोल चुकाऊं कैसे,
* * * *
माँ बच्चे का मन बहलता नहीं है,
किसी कीमती खिलोने से,
वो माँ लोरी सुनकर ही चुप होता है रोने से,
मैं वो ही नादानी वो ही हरकत बचकानी,
फिर से करना चाहता हूँ,
मैं सोने से पहले हर रात को,
वो ही मीठी लोरी फिर से सुनना चाहता हूँ,
माँ फिर से बता मुझे एक बार,
मैं तेरी लोरियों की मिठास अपने तन-मन में,
एक बार फिर से घोल पाऊं कैसे,
माँ मिलती है किस बाजार में,
वो बचपन की मीठी लोरी ( bachpan ki meethi lori ),
मैं उसे लेकर आऊं कैसे,
माँ तेरी मीठी लोरी का,
मैं मोल चुकाऊं कैसे,
* * * *
मेरा बचपन बीता है माँ
तेरी सुनकर मीठी लोरी को,
अपनी सांसों से जोड़कर रखा है माँ,
तुम ने मेरी सांसों की डोरी को,
इस लोरी का कर्ज उधार है,
जब तक ये संसार है,
जब भी गायब हो जाती है,
नींद मेरी आँखो से,
मेरा मन हलका हो जाता है,
तुम्हारी सुनकर जादुई बातों से,
माँ एक बार फिर से तुम्हारी मीठी लोरी के,
मैं वो जादुई बोल सुन पाऊं कैसे,
माँ मिलती है किस बाजार में,
वो बचपन की मीठी लोरी ( bachpan ki meethi lori ),
मैं उसे लेकर आऊं कैसे,
माँ तेरी मीठी लोरी का,
मैं मोल चुकाऊं कैसे,
* * * *
बचपन की मीठी लोरी ( bachpan ki meethi lori ) की तलाश : अनमोल धुन

सच में कितने सौभाग्य की बात है,
मीठी लोरी सुनना एक माँ के मुख से,
ईश्वर करे कोई भी बच्चा ना वंचित रहे,
माँ की मीठी लोरी के सुख से,
आज भी मेरे कानों में माँ की लोरी की,
मीठी आवाज गुंजती है,
आज भी मैं सुन लेता हूँ चोरी से,
जब भी मेरे आस-पास माँ की लोरी की,
मीठी आवाज गूंजती है,
माँ एक तरफ हो सारे जहां की दौलत,
दूजी तरफ़ हो तेरी मीठी लोरी,
माँ बता मुझे फिर से एक बार,
मैं दोनों को एक बराबर तोल पाऊं कैसे,
माँ मिलती है किस बाजार में,
वो बचपन की मीठी लोरी ( bachpan ki meethi lori ),
मैं उसे लेकर आऊं कैसे,
माँ तेरी मीठी लोरी का,
मैं मोल चुकाऊं कैसे,
* * * *
माँ की मीठी लोरी,मीठी नींद,
मीठी माँ की जुबान है,
उजला-सा चेहरा,मीठा-सा सवेरा,
माँ सरगम की मीठी तान है,
माँ इस दुनिया को वो हस्ती है,
जिस के आगे हर कीमती चीज सस्ती है,
माँ जो जादू तेरे प्यारे हाथों में है,
वो दुनिया में और कहीं नहीं मिलता,
माँ मन को मोह लेती है तेरी बातें,
ऐसा आनंद कहीं और नहीं मिलता
ये तेरी ममता का बंधन है,
मैं इस बंधन को भूल जाऊं कैसे,
माँ मिलती है किस बाजार में,
वो बचपन की मीठी लोरी ( bachpan ki meethi lori ),
मैं उसे लेकर आऊं कैसे,
माँ तेरी मीठी लोरी का,
मैं मोल चुकाऊं कैसे,
* * * *
माँ छू लेती है जिस रोटी को,
बिन नमक बिन पानी के,
मैं रोल बनाकर ऐसे ही खा जाऊं,
माँ छू लेती है जिस नल को,
मीठा कर देती है उसके जल को,
बिन बर्तन के,बिन हाथ लगाए,
मैं सीधा ऐसे ही पी जाऊं,
ये सबसे पावन है रिश्ता,
इस प्यारे रिश्ते के जैसा,
क्या कोई और रिश्ता है इस संसार में,
माँ मिलती है किस बाजार में,
वो बचपन की मीठी लोरी ( bachpan ki meethi lori ),
मैं उसे लेकर आऊं कैसे,
माँ तेरी मीठी लोरी का,
मैं मोल चुकाऊं कैसे,
* * * *
creation-राम सैणी
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