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बच्चों की किलकारी (bachchon ki kilkari)

बच्चों की किलकारी (bachchon ki kilkari)

बिन बच्चों के हर घर सूना,
बच्चों संग लगे ये दुनिया प्यारी,
रब जाने मेरे आंगन में,
कब गुंजेगी बच्चों की किलकारी (bachchon ki kilkari),
*      *      *       *        *
खेल कूद करते बच्चों को,
जब देखती हूँ मैं अपने आस-पास,
मेरे आंगन में भी खिल जाए कोई फूल,
ये ही सोच -सोचकर मन मेरा,
हर पल रहता है उदास,
बिन बच्चों के एक माँ का,
जीना हो जाता है दुषवार,यहाँ,
बच्चों के संग लगता है हर-भरा परिवार यहाँ,
वो जब चलेगा घूटनों के बल,
मैं चलूंगी उसके पीछे-पीछे,
हर घड़ी करुंगी अपने लाल की पहरेदारी,
बिन बच्चों के हर घर सूना,
बच्चों संग लगे ये दुनिया प्यारी,
रब जाने मेरे आंगन में,
कब गुंजेगी बच्चों की किलकारी (bachchon ki kilkari),
*      *      *       *        *
रब जाने कब जागेंगे भाग मेरे,
कब बदलेंगे ये दिन बुरे,
हर दिन दिल मे आस लिए,
रब पर एक विश्वास लिए,
मेरे आंगन में भी देगा एक प्यारा-सा फूल,
जैसे रब ने सबको दिए,
एक दिन दो नन्हे पांव की आहट,
मेरे कानों में रस घोलेगी,
कब एक नन्ही सी आवाज,
अपनी मुख से मुझको भी माँ बोलेगा,
रब जाने कब आएगा वो शुभ दिन,
जब मैं उठाऊंगी एक बच्चे की जिम्मेदारी,
बिन बच्चों के हर घर सूना,
बच्चों संग लगे ये दुनिया प्यारी,
रब जाने मेरे आंगन में,
कब गुंजेगी बच्चों की किलकारी (bachchon ki kilkari)
*       *        *         *        *

बच्चों की किलकारी (bachchon ki kilkari)  : एक माँ का सपना

 

बच्चों की किलकारी (bachchon ki kilkari)
बच्चों की किलकारी (bachchon ki kilkari)

बच्चों की मोहिनी सूरत,
मेरे मन को बहुत तडफाए,
बच्चों के बिन रहे मन बेचैन,
मुझे और कुछ समझ ना आए,
बच्चे हैं माँ के चेहरे की मुस्कान,
बच्चों बिन लगे घर वीरान,
अपने हम‌उम्र के लोगों के जब,
मैं देखती हूँ चेहरे पर मुस्कान,
गोद में उनकी दिखता है,
एक प्यारा सा नन्हा मेहमान,
उस नन्हे-मुन्हे मेहमान के आने से,
हर चीज लगने लगती है प्यारी,
बिन बच्चों के हर घर सूना,
बच्चों संग लगे ये दुनिया प्यारी,
रब जाने मेरे आंगन में,
कब गुंजेगी बच्चों की किलकारी (bachchon ki kilkari),
*      *      *       *        *
उस नन्हे से मेहमान की ओर,
मेरा खींचा चला जाए मन बेचैन ,
मेरे सीने से लगकर मुझे पहुंचाएगा चैन,
माँ करें जी-जान से बच्चे की रखवाली,
एक भी घर ना हो इस दुनिया में,
नन्हे-मुन्ने बच्चों से खाली,
मैं तो आस छोड चूकी थी कब की,
पर रब सुनता है एक दिन सब की,
एक दिन ये काली रातें बदल जाएंगी,
दिन के उजाले में हमारी,
बिन बच्चों के हर घर सूना,
बच्चों संग लगे ये दुनिया प्यारी,
रब जाने मेरे आंगन में,
कब गुंजेगी बच्चों की किलकारी (bachchon ki kilkari)
*     *       *       *       *
हर दिन गुजर जाता है मेरा,
दिल में एक आस जगाए,
आँखों में बसे हैं जो सपने,
कहीं एक दिन वो टूट ना जाएं,
मैंने कब से रोक कर रखा है ,
अपनी आँखों का समंदर,
माँ की ममता तडफ रही है,
वर्षों से मेरे सीने के अंदर,
कहीं आंसुओं के सैलाब में,
मेरे  सपने बह ना जाए,
कहीं दिल के अरमान दिल में ही ना रह जाए,
हे रब वो दिन आएगा कब,
जब मैं भी सनुंगी एक मीठी सी किलकारी,
बिन बच्चों के हर घर सूना,
बच्चों संग लगे ये दुनिया प्यारी,
रब जाने मेरे आंगन में,
कब गुंजेगी बच्चों की किलकारी (bachchon ki kilkari),
*      *      *       *        *
चेहरे पर आएगी एक ,
प्यारी-सी मुस्कान अब मेरे,
मेरी गोद में भी खेले,
एक नन्ही-सी जान ऐ रब मेरे,
उस पल का बेसब्री से है मुझे इंतज़ार,
एक दिन मेरे घर भी लगेगा,
खुशियों का अंबार,
जो है सबके सुख -दुख का साथी,
वो ही पकड़ेगा एक दिन बांह हमारी,
बिन बच्चों के हर घर सूना,
बच्चों संग लगे ये दुनिया प्यारी,
रब जाने मेरे आंगन में,
कब गुंजेगी बच्चों की किलकारी (bachchon ki kilkari)
*     *      *       *       *

creater-राम सैणी

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