मुंह लटकाए नजरें झुकाए,
मैं आज फिर से आ गया हूँ माँ,
मैं छोड़ गया था जिस आंचल को,
मुझे फिर से दे दो माँ, अपने प्यारे आंचल की पनाह (aanchal ki panah) ,
* * * * * * * * *
मैं गुनाहगार सही बेकार सही,
पर हूँ तो आपका जाया माँ,
मैं तेरे प्यार का तो हकदार नहीं,
मैं अपने फर्ज का ईमानदार तो नहीं,
पर मेरी रगों में दूध तो है आपका समाया माँ,
माँ दे सको तो मुझे माफ़ी दे दो,
आंचल में पनाह मुझे आप ही दे दो,
मैं बीते पल नहीं लौटा सकता हूँ,
ये सर चरणों में झुका सकता हूँ,
माफ करोगी अगर मुझे एक बार,
मेरे दिल में जगह जाएगी ,
फिर से जीने की चाह,
मुंह लटकाए नजरें झुकाए,
मैं आज फिर से आ गया हूँ माँ,
मैं छोड़ गया था जिस आंचल को,
मुझे फिर से दे दो माँ, अपने प्यारे आंचल की पनाह (aanchal ki panah) ,
* * * * * * * * *
मैं फिर से जीना चाहता हूँ,
उसी प्यारी गोद में सर रखकर,
मैं फिर से रोना चाहता हूँ,
आपके सीने से लिपटकर,
सुना है बच्चों में माँ की जान होती है,
मैंने खाकर देख ली रास्ते की धूल भी,
पर सकून नहीं मिला ,
मैंने निभाकर देख ली गैरों संग यारी,
पर मन को चैन नहीं मिला,
हाथ जोड़कर खड़ा हूँ कब से,
क्या माफी मिलेगी मुझको मेरे रब से,
माँ मुझे फिर से जीने की दे दो वजह ,
मुंह लटकाए नजरें झुकाए,
मैं आज फिर से आ गया हूँ माँ,
मैं छोड़ गया था जिस आंचल को,
मुझे फिर से दे दो माँ, अपने प्यारे आंचल की पनाह (aanchal ki panah) ,
* * * * * * * * *
बड़ी माँ बड़े पापा कैसे होते हैं,
मुझे हर रोज पूछते हैं तेरे पोता-पोती,
क्या बड़ी माँ लकड़ी की छड़ी,
आज भी अपने सिरहाने रखकर है सोती,
सुना है बड़ी माँ अपने पोते-पोतियों से,
दिन भर लाड़ लडाती है,
ना किसी और को आँख दिखाने दे,
ना खुद आँख दिखाती है,
माँ तुम्हारा पोता दिनभर बातें करता है,
तुम्हारी देखकर प्यारी तस्वीर,
हम क्यों साथ नहीं रह सकते,
क्या हमारी ऐसी ही रहेगी तकदीर,
यदि साथ रहेंगे हम मिलजुल,
फिर जीने का आएगा असली मजा,
मुंह लटकाए नजरें झुकाए,
मैं आज फिर से आ गया हूँ माँ,
मैं छोड़ गया था जिस आंचल को,
मुझे फिर से दे दो माँ, अपने प्यारे आंचल की पनाह (aanchal ki panah) ,
* * * * * * * * *
आंचल की पनाह (aanchal ki panah) : पहला प्यार
आंचल की पनाह (aanchal ki panah)
माँ तेरी छोटी पोती हर पल है रोती,
वो बोले मुझे बड़ी माँ के पास जाना है,
मुझे जानना है बड़ी माँ के दिल का हाल,
अपने दिल का हाल भी बताना है,
माँ मैं उन सबको बोलकर आया हूँ,
मैं उसी बड़ी माँ का जाया हूँ,
मेरे मुख पर है खामोशी मैं हूँ तुम्हारा दोषी,
इस दोषी को माँ तुम खुद दे दो सजा,
मुंह लटकाए नजरें झुकाए,
मैं आज फिर से आ गया हूँ माँ,
मैं छोड़ गया था जिस आंचल को,
मुझे फिर से दे दो माँ,
अपने प्यारे आंचल की पनाह (aanchal ki panah) ,
* * * * * * * * *
हम भी हर पल तरस रहे हैं,
आंसू आँखों से सावन के जैसे बरस रहें हैं,
अपने बच्चों को याद कर-करके,
किस को डांटे किस से बांटे अपने दुख,
बिन बच्चों के कैसा सुख,
बच्चों को गले लगाकर इस बड़ी माँ का,
प्यार करने का दिल करता है,
उनको बांहों में भर कर बड़ी माँ का,
बातें करने का दिल करता है,
आओ गले लग जाओ,
इस दिल को सुकून पहुंचाओ,
तुम ने कितना तडफाया है दिन -रात,
इस दिल को बेवजह,
मुंह लटकाए नजरें झुकाए,
मैं आज फिर से आ गया हूँ माँ,
मैं छोड़ गया था जिस आंचल को,
मुझे फिर से दे दो माँ,
अपने प्यारे आंचल की पनाह (aanchal ki panah) ,
* * * * * * * * *
चलो देर आए दुरुस्त आए,
अब क्यों देर लगा रहे हो,
अब क्यों और तड़फा रहे हो,
अपने पापा के जैसे अपनी बड़ी माँ को,
आओ मिट्टी चूम लो अपने आंगन की,
जल्दी से प्यास बुझा दो अपने आंगन की,
ये चौखट कब से राह देख रही है,
गले लगकर बड़ी माँ के बच्चे बोल रहे थे,
हमें भी अपने दिल मे बड़ी माँ,
थोड़ी सी दे दो ना जगह,
मुंह लटकाए नजरें झुकाए,
मैं आज फिर से आ गया हूँ माँ,
मैं छोड़ गया था जिस आंचल को,
मुझे फिर से दे दो माँ,
अपने प्यारे आंचल की पनाह (aanchal ki panah) ,
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creater – राम सैणी
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