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जान हथेली पर रखकर (jaan hatheli par rakhkar )

जान हथेली पर रखकर (jaan hatheli par rakhkar ) : एक माँ के नाम

जान हथेली पर रखकर (jaan hatheli par rakhkar ) ,
मुझको ये जीवन दान दिया,
पहली प्रार्थना उस माँ के लिए,
जिस माँ ने अपना जीवन मेरे नाम किया,
*       *         *         *         *         *
मैं हाथ जोड़कर करूं प्रार्थना,
उस पालनहार के आगे जब-जब भी,
सर को झुकाया है,
झोली में हों उसके फूल सदा,
जिस माँ ने जीवन मेरा चमकाया है,
मेरी दूजी प्रार्थना की हकदार,
प्यारी कोख है माँ की, हे पालनहार,
उस कोख से प्रीत कुछ है ऐसी,
जैसे पानी बिन मछली है प्यासी,
बिन पानी जीना दुश्वार
टूट जाएंगी उसके सांसों के तार,
हालत कुछ ऐसी ही हमारी है,
जिसे माँ कहे दुनिया सारी,
वो जान से भी प्यारी है,
प्रणाम है उस माँ को ,
जिस माँ ने एक पल भी ना आराम किया ,
मुझको ये जीवन दान दिया,
पहली प्रार्थना उस माँ के लिए,
जिस माँ ने अपना जीवन मेरे नाम किया,
*       *         *         *         *         *
मेरी तीसरी प्रार्थना उन हाथों के लिए,
जो उठे हैं हर पल मुझे दुआ देने के लिए,
ये उस माँ की दुआओं का ही फल है,
मेरे जीवन में आजकल खुशियों की हलचल है,
जब तक वो दो हाथ उठते रहेंगे दुआओं के लिए,
मेरी हर सुबह होगी न‌ए उजाले लिए,
उन हाथों का मैं उम्र भर धन्यवाद करूं,
जब तक हाथ रहेंगे माँ के मेरे कांधे पर,
मैं हर परेशानी से आजाद रहूं,
उन दो हाथों का मैं शुक्रगुजार,
माँ के दो हाथों का मैंने सदा सम्मान किया है,
जान हथेली पर रखकर (jaan hatheli par rakhkar ) ,
मुझको ये जीवन दान दिया,
पहली प्रार्थना उस माँ के लिए,
जिस माँ ने अपना जीवन मेरे नाम किया,
*       *         *         *         *         *
प्रार्थना चौथी उन आँखों के लिए,
जो जागी हैं सारी रात,
मुझे चैन की नींद सुलाने के लिए,
उस माँ की नींद से जागती लाल आंखें,
मेरे जीवन पर रहेंगी कर्ज बनकर,
मैं कोशिश करुंगा हर कदम ,
मैं रहूँ उस माँ का सच्चा हमदर्द बनकर,
पांचवीं प्रार्थना माँ की गोद के लिए मैंने की है,
उस गोद के लिए जिसकी सवारी मैंने की है,
माँ घर के सब काम करती थी,
अपनी गोद में मुझे उठाकर,
कभी थकती नहीं थी,
कभी रूकती नहीं थी,
हर पल रखती थी मुझे गले से लगाकर,
माँ ने अपना सुख सारा मेरे नाम किया ,
मुझको ये जीवन दान दिया,
पहली प्रार्थना उस माँ के लिए,
जिस माँ ने अपना जीवन मेरे नाम किया,
*       *         *         *         *         *
जान हथेली पर रखकर (jaan hatheli par rakhkar ) : प्रेम की पहली प्रार्थना
छेवीं(छटी) प्रार्थना उस परवरिश के लिए,
भूख-प्यास सब भूलकर वो पल जो मेरे लिए जीए,
माँ का खाना-पीना छूट जाता था,
जब मैं किसी बात पर रूठ जाता था,
वो मनाकर ही दम लेती थी मुझे,
हारकर खुद जीता कर दम लेती थी मुझे,
उसको पता था मैं रूठ नहीं सकता ज्यादा देर,
मुझको पता था वो दूर नहीं रह सकती,
मुझ से ज्यादा देर,
माँ ने हर घड़ी हर पल,
मुझ पर एक नया एहसान किया है,
जान हथेली पर रखकर (jaan hatheli par rakhkar ) ,
मुझको ये जीवन दान दिया,
पहली प्रार्थना उस माँ के लिए,
जिस माँ ने अपना जीवन मेरे नाम किया,
*       *         *         *         *         *
मेरी आठवीं प्रार्थना उन दो पाँव के लिए,
जो भागते रहे हर घड़ी,
मुझको सफल बनाने के लिए,
तेरे दूखते पाँव का दर्द,
मैंने देखा है माँ छूप-छूपकर,
तुम हाथ पकड़ कर चलती थी मेरा,
मैं चलता था जब रूक-रूककर
नौवीं प्रार्थना तेरे प्यार के लिए,
मुझे जीने के लिए अच्छे संस्कार दिए,
ऐसे ही नहीं माँ को सब कहते हैं महान,
मेरी आँखों ने देखा है,
तेरा त्याग और बलिदान,
तेरे पाँव की धूली उड़ती है,
जब मेरे सर के ऊपर से,
मुझको लगता है माँ ने दिया हो जैसे आशिर्वाद,
अपने दो प्यारे हाथ उठाकर के,
माँ है झरना प्यार का ,
माँ है खुशियों का दीया ,
मुझको ये जीवन दान दिया,
पहली प्रार्थना उस माँ के लिए,
जिस माँ ने अपना जीवन मेरे नाम किया,
*       *         *         *         *         *
माँ तेरे पाँव की मिट्टी का मैं,
दिल से करता हूँ सम्मान,
वो मिट्टी भी है पावन वो मिट्टी भी है महान,
माँ करती है प्रार्थना मेरे लिए,
आज से मैं भी प्रार्थना करूंगा,
वो कितना सहती है हर घड़ी मेरे लिए,
मैं आज से उस माँ की आराधना करूंगा,
माँ है हर प्रार्थना से उपर,
हर आराधना से है ऊपर,
कोई भी तपती धूप तुझ को जाए ना छूकर,
तुम हर लेती हो सब बाधाएं मेरी,
जब भी मैंने झूक कर तुम को प्रणाम किया है,
जान हथेली पर रखकर (jaan hatheli par rakhkar ) ,
मुझको ये जीवन दान दिया,
पहली प्रार्थना उस माँ के लिए,
जिस माँ ने अपना जीवन मेरे नाम किया,
*       *         *         *         *         *
creater -राम सैणी

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