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पहली पाठशाला (pahli pathshala )

पहली पाठशाला (pahli pathshala ) : माँ के प्यार का प्रथम पाठ

मेरी पहली पाठशाला (pahli pathshala ) पहला प्यार है माँ,
उसकी वजह से छाई रहती है,
मेरी आंखों में चमक चेहरे पर मुस्कान,
मेरे लिए सारा संसार है माँ,
*         *          *          *
माँ को आज भी मेरे चेहरे की ,
मुस्कान है प्यारी,
मुझे आज भी बचपन वाला,
बच्चा समझती है माँ हमारी,
वो आज भी तड़फ उठती है,
यदि घर पहूंचने में मुझको,
कभी थोड़ी भी देर हो जाए,
मुझे आज भी कच्ची नींद से उठाती नहीं,
जब तक सूरज की रौशनी,
चारों ओर ना हो जाए,
ईश्वर के आगे सर झुकाने के लिए बोलती है,
घर से निकलने से पहले,
हर बार मुझे होशियार कर देती है,
मेरा पाँव फिसलने से पहले,
बच्चों के लिए हर पल रहती मददगार है माँ ,
उसकी वजह से छाई रहती है,
मेरी आंखों में चमक चेहरे पर मुस्कान,
मेरे लिए सारा संसार है माँ,
*         *          *          *
वो खुशी से फूली नहीं समा रही थी,
जब मुख देखा मेरा पहली बार,
माँ की गोद में आकर देखा,
मैंने इस संसार का सुख पहली बार,
माँ के प्यार जताने का,
अन्दाज ही सबसे निराला है,
माँ अपनी दो आँखों से निहारकर जान लेती है,
मेरे दिल में किस बेचैनी का बोलबाला है,
मैंने कोई शिकवा-शिकायत नहीं देखा,
कभी माँ की जुबान पर,
एक बच्चे को जन्म देने के लिए,
माँ खेल जाती है हर बार अपनी जान पर,
मुझे लगा लेती है सीने से बनाकर,
अपनी बांहों का हार है माँ,
मेरी पहली पाठशाला (pahli pathshala ) पहला प्यार है माँ,
उसकी वजह से छाई रहती है,
मेरी आंखों में चमक चेहरे पर मुस्कान,
मेरे लिए सारा संसार है माँ,
*         *          *          *
ईश्वर साथ खड़ा होता है यूं लगता है,
जब माँ साथ खड़ी होती है,
वो बनकर मेरा हौंसला साथ दे हर पल,
जब भी गमों की रात बड़ी होती है,
गर्म हवाओं ने रोका मुझको जब भी,
जीवन की राहों में चलते हुए,
वो देखना चाहती है मुझको,
हर पल सर उठाकर चलते हुए,
जमीं से लेकर आसमान तक,
माँ की महिमा के गीत गाए जाते हैं,
हर घर के आंगन में यहाँ,
आज भी माँ को शीश झुकाए जाते है,
रात को घर में बच्चों को आज भी,
माँ की लोरीयां सुनाई देती हैं,
जब भी खोले माँ अपना मुख प्यारा,
बस वो बच्चों को दुआएं देती है,
रिश्तों की मिशाल है माँ ,
कितनी मिलनसार है माँ ,

मेरी पहली पाठशाला (pahli pathshala ) पहला प्यार है माँ,

उसकी वजह से छाई रहती है,
मेरी आंखों में चमक चेहरे पर मुस्कान,
मेरे लिए सारा संसार है माँ,

*         *          *          *

पहली पाठशाला (pahli pathshala ) : पहला सबक

 

रिश्तों को निभाने की कला,
कोई माँ से बेहतर क्या जाने,
उस कहीं ओर सर झूकाना नहीं पड़ता,
जो माँ को ही अपना सब-कुछ माने,
माँ किताब है प्यार की,
वो अराध्य है इस सारे संसार की,
पत्थर के मकानों को माँ,
एक सुंदर घर बना देती है,
अपना हो या बेगाना,
‌वो प्यार सबको एक बराबर देती है,
जब भी आँच आए बच्चों पर,
सीना तानकर खड़ जाती हर बार है माँ,
उसकी वजह से छाई रहती है,
मेरी आंखों में चमक चेहरे पर मुस्कान,
मेरे लिए सारा संसार है माँ ,
*         *          *          *
सर आँखों पर रखते हैं,
जो माँ का हर आदेश,
पल में पूरा करते हैं,
जो माँ का हर संदेश,
खुशियों का पहरा रहता है घर में,
उस आंगन में सफलताओं के दीप जलें,
जहाँ माँ के चेहरे पर,
मुस्कान के फूल खिलें,
लिपटकर माँ के सीने से,
मेरे मन को मिलता है चैन सदा,
मेरे सर पर रखती है जब हाथ माँ,
चमक उठते हैं मेरे दो नयन सदा,
मेरे नयनों में बसे तेरे प्यार के रंग हजार हैं माँ ,
मेरी पहली पाठशाला (pahli pathshala ) पहला प्यार है माँ,
उसकी वजह से छाई रहती है,
मेरी आंखों में चमक चेहरे पर मुस्कान,
मेरे लिए सारा संसार है माँ,
*         *          *          *
इस जीवन पर पहला हक है उसका,
वो जीवनदायनी है मेरी,
माँ की वजह से ही है,
आज सोच आसमानी मेरी,
मुझे चाहिए घर में अपने,
माँ चेहरे पर मुस्कुराहट की लकीरें,
मुझे मिलता है सकूनु बहुत,
माँ जब चलती है धीरे-धीरे,
उसके मान-सम्मान का
हर पल रखना है ख्याल मुझे,
जैसे रखा है माँ ने मुझको,
हर घड़ी संभाल मुझे ,
वो चुटकी बजाकर हर सपना पूरा करें,
मुझे यूं लगे जैसे कोई चमत्कार है माँ,
मेरी पहली पाठशाला (pahli pathshala ) पहला प्यार है माँ,
उसकी वजह से छाई रहती है,
मेरी आंखों में चमक चेहरे पर मुस्कान,
मेरे लिए सारा संसार है माँ,
*         *         *        *
creater -राम सैणी

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