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वजह मेरे मुस्कराने की (vajay mere muskrane ki )

वजह मेरे मुस्कराने की (vajay mere muskrane ki ):प्रेम की महक

माँ होती है हर बार वजह मेरे मुस्कराने की (vajay mere muskrane ki )
मैं समझता रहा माँ को क्या पता,
माँ तो है पुराने जमाने की,
*      *         *        *
माँ इस ज़माने की हो या उस जमाने की,
माँ तो बस एक ही बात जानती है,
अपने बच्चों पर निस्वार्थ प्यार जताने की,
पहले भी माँ को तकलीफ़ होती थी,
बच्चे की पैदाइश पर,
माँ आज के जैसे ही तैयार खड़ी रहती थी,
चांद-तारे तोड़ लेकर आने को,
बच्चे की एक फरमाइश पर,
पहले भी माँ के जैसा दुसरा कोई नहीं था,
आज के इस ज़माने में भी नहीं है,
माँ का स्वभाव आज भी वो ही है ,
अपने बच्चे की एक मुस्कान पर फ़िदा हो जाने की ,
मैं समझता रहा माँ को क्या पता,
माँ तो है पुराने जमाने की,
*      *         *        *

माँ आज के जैसे पहले भी,

कुर्बान हो जाती थी बच्चे की एक प्यारी मुस्कान पर,
माँ ने कभी भी आँच नहीं आने दी,
अपने बच्चे की सम्मान पर,
लोग कुछ भी बोलें मैं तो ये ही बोलूंगा,
माँ के प्यार में कितनी है गहराई,
मैं तो ये सबको ये ही बोलूंगा,
माँ का प्यार मिले सबकों एक बराबर,
माँ पहले के जैसे प्यार नहीं करती,
ये बोलना तो ग़लत है सरासर,
माँ की पहले के जैसे आज भी वो ही आदत है,
अपने बच्चे को प्यार से गले लगाने की,
माँ होती है हर बार वजह मेरे मुस्कराने की (vajay mere muskrane ki ),
मैं समझता रहा माँ को क्या पता,
माँ तो है पुराने जमाने की,
*      *         *        *
इस नए जमाने में भी माँ,
कानों के पीछे बच्चे को काला टीका लगाती है,
माँ आज भी बच्चों के सर से,
सब बुरी बलाएं भगाती है,
समय जरूर बदला है पर माँ का प्यार नहीं,
रंग बदल ग‌ए हों चाहे अपने सभी चाहने वाले,
पर माँ का प्यार नहीं,
माँ आज भी खाना खिला देती है जरूरतमंदों को,
अपने बच्चे के नाम पर,
माँ आज भी दान करती है खुलकर,
अपने बच्चे के नाम पर,
माँ देती है सीख सदा ,
अपने बच्चों को जीवन की राहों में आगे बढ़ जाने की ,
मैं समझता रहा माँ को क्या पता,
माँ तो है पुराने जमाने की,
*      *         *        *

वजह मेरे मुस्कराने की (vajay mere muskrane ki ):जीवन की प्रेरणा

माँ पहले के जैसे आज भी नहीं देख सकतीं,
अपने बच्चों को भूख से बिलबिलाते,
पहले के जैसे आज भी माँ,
अपने बच्चों को हर पल दुआ दे,
माँ-बच्चों का रुठना-मनाना,
पहले के जैसे आज भी चलता है,
माँ का दिन तो आज भी बच्चों का ,
प्यारा चेहरा देखकर ही निकलता है,
बच्चों की गालों को चूमना है या,
बात हो बच्चों के सर पर प्यार से हाथ फिराने की,
मैं समझता रहा माँ को क्या पता,
माँ तो है पुराने जमाने की,
*      *         *        *
ज़माने के साथ सब बदल जातें हैं,
एक माँ को छोड़कर,
एक वक्त ऐसा भी आता है,
जब बच्चे भी सोने लगते हैं,
अपनी माँ से मुख मोड़कर,
बच्चे भी बदल जाते हैं,
बस माँ खडी रहती है एक पर्वत के जैसे,
माँ का प्यार रहेगा हर ज़माने में,
एक मीठे शरबत के जैसे,
माँ अम्बर है,माँ समंदर है,
वो पहली ख्वाहिश है मेरी,
माँ बाहर भी माँ अंदर भी,
माँ से हुई है पैदाइश मेरी,
माँ ने ली है जिम्मेदारी ,
मेरे अंदर हर दिन एक नया जोश जगाने की ,
माँ होती है हर बार वजह मेरे मुस्कराने की (vajay mere muskrane ki )
मैं समझता रहा माँ को क्या पता,
माँ तो है पुराने जमाने की,
*      *         *        *

पहले भी माँ बच्चों को,

अपने सीने का,दूध पिलाती थी,
आज के जैसे पहले भी माँ,
बच्चों को झूला झुलाती थी,
आज के जैसे पहले भी माँ,
लोरीयां सुनाता करती थी,
बदल जाते हैं सब अपने भी सपने भी ,
बदल जाते हैं सबके चेहरे के रंग,
माँ का प्यार ही जमाने में सच है,
जो हर घड़ी रहता है बच्चों के संग,
माँ भूली नहीं है वो कला आज भी अपने बच्चों को,
हाथ पकड़कर चलना सिखानें की,
माँ होती है हर बार वजह मेरे मुस्कराने की (vajay mere muskrane ki ),
मैं समझता रहा माँ को क्या पता,
माँ तो है पुराने जमाने की,
*      *         *        *

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