स्वर्ग से सुन्दर आंगन (swarag se sundar aangan ) : जहाँ मुस्कराती माँ मिले
उस घर का पानी है मीठा,
जिस घर में माँ के चेहरे पर मुस्कान मिले,
स्वर्ग से सुन्दर आँगन (swarag se sundar aangan ) है वो ,
जिस आंगन में माँ को भरपूर सम्मान मिले,
* * * * * *
हर रोज बिताते हैं जहाँ थोड़ा वक्त,
माँ का मन बहलाने के लिए,जिस माँ ने दिया है पूरा जीवन,इस घर को महकाने के लिए,
हर रोज का नियम है जिस घर में,
खाना करें पावन माँ छूकर अपने दो हाथों से,
खुद सोने की सोचें भी नहीं,
जब तक नींद से बंद होते,
देख ना लें माँ की आँखों को ,
धीरे-धीरे हो जाए जब थोड़ी कमजोर नजर,
बन जाइये माँ की बैशाखी,
बैसाखी चाहिए माँ को अगर,
ये वो देश है जहाँ माँ के नाम से पहचान मिले ,
उस घर का पानी है मीठा,
जिस घर में माँ के चेहरे पर मुस्कान मिले,
स्वर्ग से सुन्दर आँगन (swarag se sundar aangan ) है वो ,
जिस आंगन में माँ को भरपूर सम्मान मिले,
* * * * * *
ये जो आज का दौर है,
यहाँ रिश्तों की कच्ची डोर है,
पर ये वो रिश्ता है जग में,
जिसकी महक फैली चारों ओर है,
जिस घर में माँ को दिल में बसाते हैं,
जहाँ बच्चे माँ को शीश झुकाते हैं,
वो जीवन का हर इम्तिहान कर लेते हैं पास,
चाहे जीवन में कैसा भी इम्तिहान मिले,
उस घर का पानी है मीठा,
जिस घर में माँ के चेहरे पर मुस्कान मिले,
स्वर्ग से सुन्दर आँगन (swarag se sundar aangan ) है वो ,
जिस आंगन में माँ को भरपूर सम्मान मिले,
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जिस आंगन मे हो मुस्कराती माँ का बसेरा,
उस आंगन में लगा रहता है,
खुशियों का हर पल डेरा,
जिस माँ ने हमारे चेहरे की मुस्कान,
कभी कम नहीं होने दी,
वो माँ भी हमेशा मुस्कराती रहे,
अपने पावन चरणों से मिट्टी हमारे आंगन की,
हमेशा महकाती रहे,
माँ वो दरिया है प्यार का,
जो सबकी प्यास बुझाए,
जान की बाजी लगाकर माँ जन्मदात्री कहलाए,
माँ का आँचल है सबसे न्यारा ,
इस आँचल में प्यार -दुलार सबको एक सामान मिले ,
उस घर का पानी है मीठा,
जिस घर में माँ के चेहरे पर मुस्कान मिले,
स्वर्ग से सुन्दर आँगन (swarag se sundar aangan ) है वो ,
जिस आंगन में माँ को भरपूर सम्मान मिले,
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स्वर्ग से सुन्दर आंगन (swarag se sundar aangan ) : एक प्यारा परिवार
ईश्वर के जैसे होती है,
जिस घर में माँ की पूजा,
उस घर को छू ना पाएगी,
कोई भी बुरी बला,
माँ की सेवा से जरूरी कोई काम है क्या,
माँ से प्यारा कोई नाम है क्या,
वो घर है पावन तीर्थ के जैसा,
जिस तीर्थ पर भगवान मिले,
उस घर का पानी है मीठा,
जिस घर में माँ के चेहरे पर मुस्कान मिले,
स्वर्ग से सुन्दर आँगन (swarag se sundar aangan ) है वो ,
जिस आंगन में माँ को भरपूर सम्मान मिले,
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जिस आंगन में हो माँ का उपहास,
माँ की आँखों से बहती है अश्रुधार जहाँ,
बात -बात पर तंज कसना,
ना हो माँ के लिए प्यार जहाँ,
उस घर से सुख -चैन हो जाएगा छू-मंतर,
सब बिखरे हुए रहेंगे अंदर ही अंदर,
उस माँ को तरसाना क्या,
बात -बात पर आँख दिखाना क्या,
जो माँ के भी ना हुए हम,
सबसे बडा होगा ये सितम,
सुख -दुख की है साथी माँ,
दिल से है बड़ी जज्बाती माँ,
घूम लो चाहे साडी दुनिया ,
न माँ से ज्यादा कोई महान मिले ,
उस घर का पानी है मीठा,
जिस घर में माँ के चेहरे पर मुस्कान मिले,
स्वर्ग से सुन्दर आँगन (swarag se sundar aangan ) है वो ,
जिस आंगन में माँ को भरपूर सम्मान मिले,
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दिल है माँ का सोना खरा,
जिसके दिल में है बस प्यार भरा,
रंग बदलते रिश्तों में ये ही एक रिश्ता सच्चा है,
निस्वार्थ माँ प्यार करे ,
कुछ ऐसा ही माँ का रिश्ता है,
माँ का रिश्ता बड़ा अलबेला है,
उस घर में खुशियों का मेला है,
जिस घर में माँ की महीमा का करते,
सब गुणगान मिले,
उस घर का पानी है मीठा,
जिस घर में माँ के चेहरे पर मुस्कान मिले,
स्वर्ग से सुन्दर आँगन (swarag se sundar aangan ) है वो ,
जिस आंगन में माँ को भरपूर सम्मान मिले,
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creater -राम सैणी
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