वक्त रूकता नहीं यहाँ किसी के लिए,
पिता मुझे बार-बार ये समझाता रहा,,
मैं समझ ना सका जीवन का अनमोल संदेश ,
पिता की बातों को हवा में उडाता रहा,
* * * * *
जीवन का अनमोल संदेश,
मुझे कभी समझ नहीं आया ,
पिता ने बड़े प्यार से हर पल मुझे समझाया ,
दिन यूं ही गुजरते रहे,
पिता की बातें सून-सूनकर ,
मैंने अच्छा खाया अच्छा पहना,
मुझे नहीं मालूम पिता कहाँ से लेकर आता था,
मेरे लिए खुशियों के पल चून-चूनकर,
पिता हाथ पकड़ लेता था मेरा,
मैं जब भी चलते हुए रूक जाता था,
पिता जब भी डांटता था मुझे,
मैं भागकर माँ के आंचल में छुप जाता था,
माँ मेरे हर अच्छे -बुरे काम पर ,
पर्दा डाल दिया करतीं थीं,
जो करता था मैं पसंद ,
माँ मुझसे वो ही सवाल किया करती थी,
मैं मां के आंचल में छुपकर,
हवाई घोड़े दौड़ाता रहा ,
वक्त रूकता नहीं यहाँ किसी के लिए,
पिता मुझे बार-बार ये समझाता रहा,
मैं समझ ना सका जीवन का अनमोल संदेश ,
पिता की बातों को हवा में उडाता रहा,
* * * * *
हर घड़ी मेरे भविष्य के लिए ,
पिता रहता था परेशान,
मैं पिता का उतरा चेहरा देखकर भी ,
बना रहता था अन्जान ,
आने वाले कल में कहीं गुम ना हो जाऊं मैं,
आने वाले कल का डर दिखाकर,
पिता मुझे बार-बार डराता रहा,
वक्त रूकता नहीं यहाँ किसी के लिए,
पिता मुझे बार-बार ये समझाता रहा,,
मैं समझ ना सका जीवन का अनमोल संदेश ,
पिता की बातों को हवा में उडाता रहा,
* * * * *
सदा ऐसे ही चलती रहेंगी,
ये जो मेरी रंगीन जिंदगानी है ,
मुझे क्या मालूम था ये सब पिता की मेहरबानी है,
नहाता रहा पसीने से हर रोज,
पिता तपती हुई धूप में,
मेरी बांह पकड़ कर खड़ा है ईश्वर,
हर घड़ी पिता के रूप में,
बचपन गुजरा अमीरों के जैसे,
क्योंकी मेरे सर पर था पिता का साया,
जब तक समझ आने लगी थी जिंदगी,
खुद को जवानी की दहलीज पर खडा पाया,
अफ़सोस रहेगा मुझे जीवन भर मै सुन नहीं पाया ,
जीवन का अनमोल सन्देश मुझे सुनाता रहा ,
वक्त रूकता नहीं यहाँ किसी के लिए,
पिता मुझे बार-बार ये समझाता रहा,
मैं समझ ना सका जीवन का अनमोल संदेश ,
पिता की बातों को हवा में उडाता रहा,
* * * * * *जीवन का अनमोल संदेश : पिता के मुख से
आज भी याद आती है पिता की,
वो अनमोल नसीहत,
पसीना बहा कर पेट भरना पड़ेगा,
कब तक काम आएगी पिता की वसीयत,
खुद खोदकर खड्डा यहाँ, पानी पीना पड़ेगा,
हालात कैसे भी हो जिंदगी में,
सबके सामने हंसकर जीना पड़ेगा,
पिता ने अपनी खुशियों का किया है बलिदान,
वो हर रिशता दिन से निभाता रहा,
वक्त रूकता नहीं यहाँ किसी के लिए,
पिता मुझे बार-बार ये समझाता रहा,,
मैं समझ ना सका जीवन का अनमोल संदेश ,
पिता की बातों को हवा में उडाता रहा,
* * * * *
जब से उठ गया है मेरी जिंदगी में,
माँ के बाद पिता का साया,
मुझे पिता की उन अनमोल,
बातों का मतलब अब समझ में आया ,
पिता की यादों को याद करके मैं बहुत रोता हूँ,
आजकल मैं खुले आसमान के नीचे सोता हूँ,
कभी नहीं किया मैंने पिता की बातों का सम्मान,
मुझे लगता था पिता यूं ही बांटता फिरता हैं ज्ञान,
ईश्वर ना जाने कहाँ गई,
वो माँ के प्यार की गर्माहट,
मैं सोते-सोते उठ पड़ता हूँ,
मुझे हर घड़ी सुनाईं पड़ती है,
माता-पिता के पाँव की आहट,
इतना कीमती वक्त मै यूं ही गवांता रहा ,
वक्त रूकता नहीं यहाँ किसी के लिए,
पिता मुझे बार-बार ये समझाता रहा,,
मैं समझ ना सका जीवन का अनमोल संदेश ,
पिता की बातों को हवा में उडाता रहा,
* * * *
जैसे पिता ने फेरें हों मेरे सर पर,
अभी-अभी अपने दो हाथ,
माँ बड़े ध्यान से सुन रही है जैसे,
मेरे मुख से निकली हर बात,
अपने माता-पिता की बातों को,
जो लोग बड़े गौर से सुनते हैं,
वो सदा अपनी जिंदगी में ,
सुनहरे सपने बुनते हैं,
हर किसी को नहीं सूना सकता,
मैं दर्द अपने दिल का,
जो सुनता हो प्यार से,
बस उसी को सुनता रहा ,
वक्त रूकता नहीं यहाँ किसी के लिए,
पिता मुझे बार-बार ये समझाता रहा,
मैं समझ ना सका जीवन का अनमोल संदेश ,
पिता की बातों को हवा में उडाता रहा,
* * * * *creater- राम सैणीmust read:प्यार भरी पहली मुलाकात
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