sar ka taaj

मात-पिता के सर का ताज ( sar ka taaj ) : लाजवाब फैसला

मैं हूँ मात-पिता के सर का ताज ( sar ka taaj ),
मेरा हर फैंसला है लाजवाब,
वो जिसके हाथों में देंगे मेरा हाथ,
उसके संग ही होगा मेरा जन्म-जन्म का साथ,
*           *            *           *           *

सात फेरों का पवित्र बंधन,
मात-पिता के पवित्र हाथों से ही पूर्ण हो,
ईश्वर करे ये ही हर बेटी की ख्वाहिश हो,
माँ पहनाए अपने हाथों से तन पर लाल जोड़ा ,
ये ही हर बेटी की ख्वाहिश हो,
मात-पिता बेटी की शादी के लिए,
दिल में सपने सजाकर रखते हैं,
वो हर छोटी से छोटी चीज को,
बेटी की शादी के लिए उठाकर रखते हैं,
हम नहीं भूलना चाहिए उनके त्याग को,
जो जागे हमारे लिए सारी-सारी रात,
मैं हूँ मात-पिता के सर का ताज ( sar ka taaj ),
मेरा हर फैंसला है लाजवाब,
वो जिसके हाथों में देंगे मेरा हाथ,
उसके संग ही होगा मेरा जन्म-जन्म का साथ,
*          *        *           *           *
मात-पिता की नजर दुरदरशी होती है,
उनकी नजर सुक्ष्मदर्शी होती है,
वो जो फैसला करेंगे हमें स्वीकार होगा,
मात-पिता का मान-सम्मान,
हमें है अपनी जान से प्यारा,
उसके सामने बेवजह का ना कोई तकरार होगा,
हम कैसे भूल जाएं अपने पालनहार,
मात-पिता का प्यार बेहिसाब,
मैं हूँ मात-पिता के सर का ताज ( sar ka taaj ),
मेरा हर फैंसला है लाजवाब,
वो जिसके हाथों में देंगे मेरा हाथ,
उसके संग ही होगा मेरा जन्म-जन्म का साथ,
*            *          *           *          *
मैं सिर्फ एक बेटी नहीं हू
मुझे माता-पिता मानते अपने सर का ताज है,
मेरी नज़रों में जितना उनका सम्मान कल था,
उससे बढ़कर सम्मान आज है,
मैं अपने माता-पिता का हूँ एक सपना सलोना,
मुझमें बसते हैं प्राण मेरे माता-पिता के,
मैं नहीं हूँ खेलने का कोई बाजारी खिलोना,
मैं हूँ एक बेटी शयानी,
मेरे अंदर हैं लहू हिंदूस्तानी,
मेरे मजबूत कांधों पर है मेरे परिवार की लाज,
मैं हूँ मात-पिता के सर का ताज ( sar ka taaj ),
मेरा हर फैंसला है लाजवाब,
वो जिसके हाथों में देंगे मेरा हाथ,
उसके संग ही होगा मेरा जन्म-जन्म का साथ,
*       *        *         *         *

सर का ताज ( sar ka taaj ) : बाबुल का आँगन

 

sar ka taaj
sar ka taaj

मुझ पर वारते हैं मात-पिता अपनी जान ,
वो मुझको मानते अपने घर की शान,
मैंने जब से होश संभाला है,
मात-पिता ने अपने जीवन का,
एक-एक पल मेरे नाम लिख डाला है,
मैंने खाई है सौगंध राम की,
अपने माता-पिता के नाम की,
मेरी वजह से उनकी आँखों में,
कभी आंसू नहीं आएंगे,
मेरी सांसें है उनकी खैरात,
मैं हूँ मात-पिता के सर का ताज ( sar ka taaj ),
मेरा हर फैंसला है लाजवाब,
वो जिसके हाथों में देंगे मेरा हाथ,
उसके संग ही होगा मेरा जन्म-जन्म का साथ,
*             *            *           *
मात-पिता से प्यारा संसार में,
कोई और नहीं हो सकता है,
जितनी मुश्किलें सही हैं उन दोनों ने,
उतनी कोई दूजा नहीं सह सकता है,
उनकी सहमति के बिना,
मैं सांस भी नहीं लेती हूँ,
उनके लिए तो मैं अपना,
सारा जीवन दे सकती हूँ,
मेरे जीवन का हर फैसला लेने का,
उनको पूरा-पूरा अधिकार है,
मेरे लिए चूनेंगे वो एक प्यारा परिवार है,
मात-पिता का अभिमान हूँ मैं,
समाज में उनका सम्मान हूँ मैं,
मैं हँ एक बेटी जांबाज,
मैं हूँ मात-पिता के सर का ताज ( sar ka taaj ),
मेरा हर फैंसला है लाजवाब,
वो जिसके हाथों में देंगे मेरा हाथ,
उसके संग ही होगा मेरा जन्म-जन्म का साथ,
*       *        *         *            *
मैं कभी नहीं भूल सकती हूँ,
उनके त्याग और बलिदान को,
मैं कभी ठेस नहीं पहुंचाऊंगी उनके सम्मान को,
इतिहास गवाह है मात-पिता को छोड़कर,
कोई सुखी नही हो पाया है
समाज भी उनको नहीं अपनाता है
जिस बेटी ने मात-पिता का सर झूकाया है,
मात-पिता हैं साथ अगर हम उनके दिल का,
एक महकता फूल बन जाएंगे,
हम सबका भला रहेगा,
जब तक काबू में हैं जज़्बात,
मैं हूँ मात-पिता के  सर का ताज ( sar ka taaj ),
मेरा हर फैंसला है लाजवाब,
वो जिसके हाथों में देंगे मेरा हाथ,
उसके संग ही होगा मेरा जन्म-जन्म का साथ,
*        *        *         *         *
creater-राम सैणी
read more
click here –> माँ बनना (maa banna) : ईश्वर की सबसे सुंदर सौगात 
click here –> बेटा कहकर पुकारा (beta kahkar pukara ): कुदरत का चमत्कार

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top