pita ka sath

पिता का साथ (pita ka sath)

पिता का साथ (pita ka sath),
जैसे खुशियों की बरसात,
चाहे लंबा सफर है फिर कैसा डर है,
जब पिता साथ है खड़ा,
हमदर्द हजारों मिल सकते हैं,
लेकिन कोई नहीं है मेरे पिता से बड़ा,
*     *       *       *       *

मेरी जीवन की राह आसान बना दे,
मुझको अपने दिल में जगह दे,
हर घड़ी मुझको होश में लाए,
मैं कभी हार मानकर रूक जाऊं तो,
मेरे मन में एक नया जोश जगाए,
पिता मेरी हर फरमाइश पूरी करे,
मेरी नींद खुलने से पहले,
कब कितना और क्या चाहिए,
ये जानकर पिता ले आता है,
श्याम ढलने से पहले,
पिता मेरे लिए ईश्वर है साक्षात,
पिता का साथ (pita ka sath),
जैसे खुशियों की बरसात,
चाहे लंबा सफर है फिर कैसा डर है,
जब पिता साथ है खड़ा,
हमदर्द हजारों मिल सकते हैं,
लेकिन कोई नहीं है मेरे पिता से बड़ा,
*     *       *       *       *
हाथ पकड़कर मुझको हर काम सिखाए,
हर बुरी आदतों से मुझे बचाए,
हर घड़ी करें मेरा मार्गदर्शन,
हमारी ख्वाहिशें पूरी करने में,
बीत जाता है उसका हर दिन,
मेरी जीत में पिता खुशी मनाएं,
मेरी हार में मुझे ना बिखरने दे,
पिता मेरे मन की बात जानकर,
मेरे अंदर के हुनर को निखरने दे,
पिता के साथ मेरा रिश्ता कुछ ऐसा है,
जैसे सोने की अंगूठी में कोई हीरा हो जड़ा,
पिता का साथ (pita ka sath),
जैसे खुशियों की बरसात,
चाहे लंबा सफर है फिर कैसा डर है,
जब पिता साथ है खड़ा,
हमदर्द हजारों मिल सकते हैं,
लेकिन कोई नहीं है मेरे पिता से बड़ा,
*     *       *       *       *
मेरे जीवन की नाव फंस जाए,
जो कभी मझधार में,
पिता बन जाता है मेरा सहारा,
वो मेरी जीवन की नाव का मांझी बनकर,
मुझको लगा देता है वो किनारा,
पिता का साया है एक शीतला झरना,
जो मेरे रोम-रोम को शीतल करे,
पिता के साए में हम निडर बनकर रहें,
उसके साये में फिर क्यों डरना,
पर्वत के जैसा हौसला मिलता है,
जब पिता हो सर पर हाथ,
पिता का साथ (pita ka sath),
जैसे खुशियों की बरसात,
चाहे लंबा सफर है फिर कैसा डर है,
जब पिता साथ है खड़ा,
हमदर्द हजारों मिल सकते हैं,
लेकिन कोई नहीं है मेरे पिता से बड़ा,
*     *       *       *       *

पिता का साथ (pita ka sath)  : अनमोल और अटूट

 

pita ka sath
pita ka sath

पिता का साथ है बेमिसाल,
खुशियों से रखे हमको मालामाल,
पिता का हाथ है सर पर तो,
चाँद-सितारे तोड़ने की भी मेरी हस्ती है ,
उस रब के तोहफे की तस्वीर,
हर वक्त मेरे दिल में बस्ती है ,
मेहनत उसकी ताकत है,
उसका दिल है समंदर से बड़ा,
पिता का साथ (pita ka sath),
जैसे खुशियों की बरसात,
चाहे लंबा सफर है फिर कैसा डर है,
जब पिता साथ है खड़ा,
हमदर्द हजारों मिल सकते हैं,
लेकिन कोई नहीं है मेरे पिता से बड़ा,
*     *       *       *       *
मैं देखूं पिता को जब भी परेशान,
वो मुस्करा देता है मुझे देखकर,
मेरे चेहरे पर रखे मुस्कान,
पिता का है  दिल से सम्मान,
उससे जुड़ी है हमारी आन-बान,
महानता की तस्वीर है वो,
ना नहीं है जिसकी जुबान पर,
ऐड़ी-चोटी का वो जोर लगादे,
पिता खरा उतरता है हर इम्तिहान पर,
पिता साथ खड़ा रहता है,
जब भी आती है कोई अंधेरी रात,
पिता का साथ (pita ka sath),
जैसे खुशियों की बरसात,
चाहे लंबा सफर है फिर कैसा डर है,
जब पिता साथ है खड़ा,
हमदर्द हजारों मिल सकते हैं,
लेकिन कोई नहीं है मेरे पिता से बड़ा,
*     *       *       *       *
परिवार है उसका जग सारा,
परिवार ही है उसको सबसे प्यारा,
पिता के जैसी दरियादिली,
कोई और ना दिखा पाएगा,
अपना‌ सब कुछ हार कर,
वो हमको जीता देता है,
पिता ही हमारा सच्चा हमदर्द कहलाएगा,
सफलता उसके पाँव चूमती है,
जहां पिता का पांव पड़ा,
पिता का साथ (pita ka sath),
जैसे खुशियों की बरसात,
चाहे लंबा सफर है फिर कैसा डर है,
जब पिता साथ है खड़ा,
हमदर्द हजारों मिल सकते हैं,
लेकिन कोई नहीं है मेरे पिता से बड़ा,
*     *       *       *       *
creater-राम सैणी
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