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माँ (maa )

माँ (maa )

        माँ (maa ):एक प्रार्थना 

 हे राम जी,मै जब भी गलत राह पर जाऊं
 हाथ पकड़ मुझे रोक देना।
 मैं जब भी जन्म लू इस धरती पर,
 हर बार मुझे वही कोख देना।
*         *         *        *
जिस माँ ने मुझे  रखा छाव में
खुद जलती रही धूप में,
हे राम जी अगले जन्म में मिले,
माँ मुझे बेटी के रूप में।
माँ बेटे का रिश्ता इस जग मे सबसे निराला है,
माँ को खुश देखकर ,खुश होता ऊपरवाला है !
तुम ने बना दिया अपनी मेहनत से ,
*        *         *        *       *
मुझे एक चमकता सितारा माँ ,
मै भी बनूँगा एक दिन ,
तुम्हारे बुढ़ापे का सहारा माँ ,
तुम्हारी एक आवाज पर दौड़ा चला आउंगा ,
चाहे किसी वक्त भी बोल देना ,
हे राम जी,मै जब भी गलत राह पर जाऊं
 हाथ पकड़ मुझे रोक देना।
 मैं जब भी जन्म लू इस धरती पर,
 हर बार मुझे वही कोख देना।
*       *          *
कुछ कर्ज तुम्हारा माँ इस जन्म में,
सेवा कर के उतारूंगा बाकी अगले जन्म में,
जब मिले माँ बेटी बनकर,
उसकी बड़ी-बड़ी खवाइसों को ,
मैं हंसते-हंसते पूगांऊगा।
जो कर्ज था पिछले जन्म का,
थोड़ा इस जन्म में चुकाऊंगा,
माँ का करूंगा हर पल सम्मान,
वो है मेरा भगवान ,
*       *        *        *
इतनी कृपा तुम बनाए रखना ,
ये सर सदा माँ के क़दमों में झुकाये रखना ,
मेरे मुख से ना निकालें माँ के लिए कभी गलत बोल ,
हे राम जी,मै जब भी गलत राह पर जाऊं
हाथ पकड़ मुझे रोक देना।
मैं जब भी जन्म लू इस धरती पर,
हर बार मुझे वही कोख देना।
 *        *         *           *
माँ की कोख का क़र्ज़ मुझ पर ,
इस जनम उधार रहेगा ,
मुझे इस कोख से हर जन्म प्यार रहेगा ,
हे राम जी ,कभी मै कुछ गलत करूं,
तो तुम मुझे टोक देना,
हे राम जी,मै जब भी गलत राह पर जाऊं
हाथ पकड़ मुझे रोक देना।
मैं जब भी जन्म लू इस धरती पर,
हर बार मुझे वही कोख देना।
*         *        *          *
माँ का बन्धन जुड़ा है ,
मेरी सांसों की तार से ,
माँ को रखूँगा मै दिल से लगाकर बड़े प्यार से ,
हे राम जी,माँ हर पल रहे खुश,
हँसता -मुस्कराता रहे उसका चेहरा ,
बस ये ही दिल का अरमान है मेरा ,
जब भी गम छुयें माँ के दामन को ,
उन गमों को उसी पल पीछे मोड़ देना ,
हे राम जी,मै जब भी गलत राह पर जाऊं
हाथ पकड़ मुझे रोक देना।
मैं जब भी जन्म लू इस धरती पर,
हर बार मुझे वही कोख देना।
*     *        *        *
माँ के हाथों का स्पर्श करता रहूँ ,
सदा उसके चरणों में रहूँ ,
माँ को ही ईश्वर कहूँ ,
मुझे इस लायक बनाये रखना ,
इन हवाओं में फैली रही खुशबू माँ के प्यार की ,
माँ के चमकते चेहरे पर हर पल एक नई बहार हो ,
हे राम जी ,इन बहती हवाओं को बोलो ,
जब भी मेरी माँ चले नंगें पाँव ,

उसके पाँव के नीचे महकते फूल बो देना ,

हे राम जी,मै जब भी गलत राह पर जाऊं
हाथ पकड़ मुझे रोक देना।
मैं जब भी जन्म लू इस धरती पर,
हर बार मुझे वही कोख देना।
*     *        *        * 

                   by-राम सैणी   

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2 thoughts on “माँ (maa )”

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