बेटियां पिता के,बेटे माँ के दिल के करीब होते हैं,
बेटियां ही नहीं बेटे भी अकेले में रोते हैं,
बाहर से हंसकर दिखाते हैं,
बेटे भी दर्द छुपाते हैं ( bete bhi dard chhupaate hain ),
कौन कहे बेटियां नाज़ुक दिल की,
बेटे कठोर दिल होते हैं,
* * * *
बात-बात पर जिद्द करने वाले,
खुद को सही सिद्ध करने वाले,
अब आँखें झुकाकर चलते हैं,
खाने में नकल निकालना,
हर किसी को अकल बांटना,
अब सीने में लाखों गम छुपाकर चलते हैं,
छोटे काम में शर्माने वाले,अब नहीं शर्माते हैं,
बाहर से हंसकर दिखाते हैं,
बेटे भी दर्द छुपाते हैं ( bete bhi dard chhupaate hain ),
कौन कहे बेटियां नाज़ुक दिल की,
बेटे कठोर दिल होते हैं,
* * * *
माँ का हर सुबह उठाना,
एक बार उठकर फिर सोने वाले,
अब सारी-सारी रात जागते हैं,
कल की चिंता ना करने वाले,
माँ के बिना एक पल भी ना रहने वाले,
अब दो रोटी खाने के लिए,
पैसे के पीछे दिन-रात भागते हैं,
तुम्हारा कुछ नहीं हो सकता है,
ईश्वर ही तुम्हार भला कर सकता है,
माँ से हमेशा ये सूनने वाले,
आज हर किसी की सुनते हैं,
सर पर घर की चिंता लिए,
आँखों में अधुरी नींद लिए,
आज हर किसी की सुनते हैं,
हर दिन रंगीन सपने बुनने वाले,
बेटियां ही नहीं बेटे भी घर से दूर होते हैं,
बेटियां पिता के,बेटे माँ के दिल के करीब होते हैं,
बेटियां ही नहीं बेटे भी अकेले में रोते हैं,
बाहर से हंसकर दिखाते हैं,
बेटे भी दर्द छुपाते हैं ( bete bhi dard chhupaate hain ),
कौन कहे बेटियां नाज़ुक दिल की,
बेटे कठोर दिल होते हैं,
माँ का हर सुबह उठा
* * * *
पिता के कुछ बोलने पर,
माँ से शिकायत करने वाले,
हर घड़ी माँ की हिमायत करने वाले,
अब चुपचाप हर किसी की सुनते रहते हैं,
पिता से हर पल डरने वाले,
पिता के सामने ना खडने वाले,
अब हर ग़म के आगे ढटकर खड़े रहते हैं,
सूरज चढ़ने तक सोने वाले,
अब अपने परिवार की जिम्मेदारी,
ईमानदारी से निभाते हैं,
बेटियां पिता के,बेटे माँ के दिल के करीब होते हैं,
बेटियां ही नहीं बेटे भी अकेले में रोते हैं,
बाहर से हंसकर दिखाते हैं,
बेटे भी दर्द छुपाते हैं ( bete bhi dard chhupaate hain ),
* * * *
बेटे भी दर्द छुपाते हैं ( bete bhi dard chhupaate hain ) : माँ का दुलारा

बहन के हाथों से लडकर खाने वाले,
घर की हर चीज पर अपना हक जताने वाले,
अब सब-कुछ बिन मांगे दे-देते हैं,
बहन को रुलाकर खुश होने वाले,
बहन को गुस्सा दिलाकर खुश होने वाले,
अब अपने हिस्से का भी बहन को दे-देते हैं,
माँ के आँचल में सर रखकर,
उसके सीने से लिपटकर सोने वाले,
अब खाली चारपाई पर सो जाते हैं,
बिस्तर पर चाय पीने वाले,
अपना चाय का कप इधर से उधर ना करने वाले,
अब बिन चाय पिए खडे हो जाते हैं,
बेटियां ही नहीं बेटे भी मात-पिता से,
हर दिन दूर रहकर तड़फते हैं,
बेटियां पिता के,बेटे माँ के दिल के करीब होते हैं,
बेटियां ही नहीं बेटे भी अकेले में रोते हैं,
बाहर से हंसकर दिखाते हैं,
बेटे भी दर्द छुपाते हैं ( bete bhi dard chhupaate hain ),
कौन कहे बेटियां नाज़ुक दिल की,
बेटे कठोर दिल होते हैं,
* * * *
हमेशा पलकों की छाँव में रहने वाले,
अब वो शिखर दोपहर में भी,
मेहनत करने से नहीं डरते हैं,
हमेशा धूल-मिट्टी से बचकर रहने वाले,
अब मिट्टी को माँ मानकर चलते हैं,
हर रोज गरम-गरम खाना खाने वाले,
अब ठंडा खाना खाकर भी पेट भर लेते हैं,
हर बात में शर्म करने वाले,
अब हर आदमी के आगे जाकर,
हर स्थिति में काम कर लेते हैं,
हर रोज नए-नए सपने देखने वाले,
आज हम-सब के सपने पूरे करते हैं,
अपनी दुनिया में मस्त रहने वाले,
आज सबको जी कहकर बुलाते हैं,
बेटे भी दर्द छुपाते हैं ( bete bhi dard chhupaate hain ),
कौन कहे बेटियां नाज़ुक दिल की,
बेटे कठोर दिल होते हैं,
* * *
जो कल तक उंगली पकड़कर चला करते थे,
आज खुद चलना सीख गए हैं,
छोटी-छोटी बात पर जिद्द करने वाले,
अब पिंगलना सीख गए है,
दिन चडने तक सोने वाले,
अब चौथे पहर में उठ जाते हैं,
खजूर के जैसे ना झुकने वाले,
अब हर बात पर झुक जातें हैं,
बेटियां ही नहीं सुख-दुख की साथी,
बेटे भी सुख-दुख के साथी होते हैं
,बेटियां पिता के,बेटे माँ के दिल के करीब होते हैं,
,बेटियां ही नहीं बेटे भी अकेले में रोते हैं,
बाहर से हंसकर दिखाते हैं,
बेटे भी दर्द छुपाते हैं ( bete bhi dard chhupaate hain ),
कौन कहे बेटियां नाज़ुक दिल की,
बेटे कठोर दिल होते हैं,
* * * *
creation – राम सैणी
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