चल लाली ( chal lali ) तुझे शैर कराऊं,
अपने खेत-खलिहान की,
चिड़ियों को चहकते देखना,
परींदो को उड़ते देखना,
वो कैसे छू रहे हैं उंचाई आसमान की,
* * * * *
आ लाली मेरी छड़ी को पकड़,
चल धीरे-धीरे घर से निकल,
तेज-तेज हिला अपनी बांह को,
ज्यादा शैतानी मत करना,
पैदल चलने में आनाकानी मत करना,
गुस्सा मत दिलाना अपनी बड़ी माँ को,
कच्ची राहों की धूल है प्यारी,
आज दो टांगों पर कर तूं सवारी,
फूलों से बातें करना हंस-हंसकर,
रंग-बिरंगे परीदों को देखना जी-भरकर,
इन परिंदों की खूबसूरती,
मन मोह लेती हैं हर इंसान की,
चल लाली ( chal lali ) तुझे शैर कराऊं,
अपने खेत-खलिहान की,
चिड़ियों को चहकते देखना,
परींदो को उड़ते देखना,
वो कैसे छू रहे हैं उंचाई आसमान की,
* * * * *
तूं बार-बार देखना चाहेंगी,
कुदरत के इस नजारे को,
आज उड़ती धूल से नहाकर देखना,
अपने सर पर फूलों का सेहरा सजाकर देखना,
मन को मोहने वाली तितलियों को,
अपने हाथों पर बैठाकर देखना,
मेरी लाली तूं भूल ना पाऊंगी आज के बाद,
कुदरत के इस रंगीन नजारे को,
शुद हवा का बहना,सादा खाना सादा पीना,
गाँव में मस्त होकर रहना,
आज भी बात है ये कितने सम्मान की,
चल लाली ( chal lali ) तुझे शैर कराऊं, ,
अपने खेत-खलिहान की,
चिड़ियों को चहकते देखना,
परींदो को उड़ते देखना,
वो कैसे छू रहे हैं उंचाई आसमान की,
* * * * *
मैं ना जाऊंगी घर से बाहर बड़ी माँ,
कच्ची राहों में तीखी शूलें पड़ी है बड़ी माँ,
मेरे कोमल पैरों में कहीं चुब ना जाएं,
उड़ती हुई धूल पड़ जाएगी मेरे बालों में,
ठंडी-ठंडी हवा छील देंगी मेरे गालों को,
कच्ची राहों में घूमती हैं नन्ही-नन्ही चींटियां,
वो कहीं मेरे पैरों के नीचे दब ना जाएं,
बड़ी माँ क्यों हंस रही हो जोर-जोर से,
मेरी बातों को सुनना बड़े गौर से,
मैं अपने पापा की राजकुमारी हूँ,
मुझे कोई परवाह नहीं है इस जहान की,
चल लाली ( chal lali ) तुझे शैर कराऊं,
अपने खेत-खलिहान की,
चिड़ियों को चहकते देखना,
परींदो को उड़ते देखना,
वो कैसे छू रहे हैं उंचाई आसमान की,
* * * * *
चल लाली ( chal lali ) खेतों की ओर : गाँव की बेटी

कच्ची राहों में फिसलन होती है,
छोटे बच्चों को पैदल चलने में,
बड़ी माँ बहुत मुश्किल होती है,
ना बाबा ना में ना जाऊंगी बड़ी माँ,
घर से बाहर पैर ना बढ़ाऊंगी बड़ी माँ,
उड़ती हुई धूल के छोटे-छोटे कण,
कहीं मेरी आँखों में ना पड़ जाए,
कच्ची राहों के जहरीले कीट-पतंगे,
कहीं मेरे पैरों पर ना चढ जाएं,
बड़ी माँ क्या आपको परवाह नहीं है,
इस छोटी सी जान की,
चल लाली ( chal lali ) तुझे शैर कराऊं,
अपने खेत-खलिहान की,
चिड़ियों को चहकते देखना,
परींदो को उड़ते देखना,
वो कैसे छू रहे हैं उंचाई आसमान की,
* * * * *
बड़ी माँ के रहते मेरी लाली तुम्हें कैसा डर है,
ये पूरी धरती ईश्वर का घर है,
मोहीत ना कर मुझे अपनी बातों से,
चल छड़ी उठाकर दे मुझे अपने हाथों से,
घर की चार दीवारी में ज़रा बाहर निकल,
कुदरत के करिश्मे को देखकर,
मेरी लाली तुझे आएगी अक्ल,
शुद-शीतल बाहर बहती है पवन,
हाथ जोड़कर ईश्वर को करना नमन,
पीपल के पेड़ पर कोयल गीत गाती है,
एक प्यारी सी गिलहरी इधर-उधर घूमते हुए,
अपनी छोटी सी दुम हिलाती है,
ढलती श्याम को देखना परींदों को घर जाते हुए,
मोरों को देखना पंख फैलाते हुए,
वो पंख फैलाकर ऊंचाई नापते हैं,
बिल्कुल भी परवाह नहीं करते हैं,
वो परिंदे अपनी जान की,
चल लाली ( chal lali ) तुझे शैर कराऊं,
अपने खेत-खलिहान की,
चिड़ियों को चहकते देखना,
परींदो को उड़ते देखना,
वो कैसे छू रहे हैं उंचाई आसमान की,
* * * * *
ठीक है बड़ी माँ मान लेती हूँ तुम्हारी बात,
मैं तैयार हूँ चलने को तुम्हारे साथ,
मैं आगे-आगे दौड़कर तुम को पीछे छोड़कर,
काली मिट्टी में घर बनाऊंगी,
मिट्टी को लेकर अपने हाथों में,
आसमान की ओर उड़ाऊंगी,
तुम नाराज़ मत होना बड़ी माँ,
शैतानियां देखकर इस नादान की,
चल लाली ( chal lali ) तुझे शैर कराऊं,
अपने खेत-खलिहान की,
चिड़ियों को चहकते देखना,
परींदो को उड़ते देखना,
वो कैसे छू रहे हैं उंचाई आसमान की,
* * * * *
creation- राम सैणी
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चल लाली कर मेरी नकल,