माँ की यादें ( maa ki yaaden ) अब मेरा जीवन,
बुझा-बुझा सा रहता है अब मेरा मन,
मेरा कोई नहीं माँ इस जहान में,
तुम क्यों जा बैठी हो आसमान में,
क्या तुम्हें मेरी याद नहीं आती है,
तुम बोलकर आ जाओ ना भगवान से,
* * * * *
माँ आ जाओ मेरे पास इस नीले आसमान से,
मैं प्रार्थना करता हूँ हर रोज़ भगवान से,
बिन माँ के मैं अकेला हो गया हूँ,
जैसे कोई सुखा पेड़ हो घने वन में,
मेरी रातों की नींद गायब है,
दिन में एक पल भी सुकून नहीं है,
मेरी उम्र के बच्चों में जो होता है,
मुझमें वो जोश वो जुनून नहीं है,
मुझे तो कोई मंजिल भी नज़र नहीं आती,
माँ रास्ते भी लगते सुनसान से,
माँ की यादें ( maa ki yaaden ) अब मेरा जीवन,
बुझा-बुझा सा रहता है अब मेरा मन,
मेरा कोई नहीं माँ इस जहान में,
तुम क्यों जा बैठी हो आसमान में,
* * * * *
तेरे बिन कैसे गुजरेंगे मेरे दिन,
हर घड़ी ये ही चलता रहता है मेरे मन में,
माँ सुखे पेड़ खुद टूट कर गिर जाया करते हैं,
आजकल लोग उन पेड़ों की जड़ों को काटते हैं,
जो पेड़ उनके सर छाया करते हैं,
माँ काली घनी सर्दी की रातें,
मुझे बहुत डरातीं हैं माँ,
शोर मचाती हुई आसमानी बिजली,
हवा के साथ तेज बरसातें ,
मुझे बहुत डरातीं हैं माँ,
डर लगता है मुझको हर अजनबी इंसान से,
माँ की यादें ( maa ki yaaden ) अब मेरा जीवन,
बुझा-बुझा सा रहता है अब मेरा मन,
मेरा कोई नहीं माँ इस जहान में,
तुम क्यों जा बैठी हो आसमान में,
* * * * *
हमारी खुशियों को माँ ना जाने,
किस की बुरी नजर लग गई है,
हंसता-खेलता घर था हमारा,
गाते-गुनगुनाते गुज़रता था हर पल हमारा,
हमारी खुशियां हो गई है छू-मंतर,
घर तिनके के जैसे बिखर गया है,
अच्छा वक्त हाथों से रेत की तरह निकल गया है,
माँ तुम्हारे साथ हर पल हसीन लगता था,
जब मैं उंगली पकड़कर चलता था शान से,
माँ की यादें ( maa ki yaaden ) अब मेरा जीवन,
बुझा-बुझा सा रहता है अब मेरा मन,
मेरा कोई नहीं माँ इस जहान में,
तुम क्यों जा बैठी हो आसमान में,
* * * * *
माँ की यादें ( maa ki yaaden ) : मेरे जीने का सहारा

मुझे कुछ नहीं चाहिए माँ एक तुम्हारे सिवा,
माँ हर पल बुझता जा रहा है
मेरी उम्मीदों का दीया,
माँ लोग बोलते हैं की सुबह -सुबह,
भगवान का फेरा होता है हर घर में,
उसकी कृपा का घेरा होता है हर घर में,
मैं हर सुबह बैठ जाता हूँ घर के द्वार पर,
ये सोचकर एक ना एक दिन वो जरूर लेगा,
तुम्हारे इस अभागे बेटे की खबर,
मैं पूछूंगा उस दो जहान के मालिक से,
क्या ग़लती हो गई है इस नादान से,
माँ की यादें ( maa ki yaaden ) अब मेरा जीवन,
बुझा-बुझा सा रहता है अब मेरा मन,
मेरा कोई नहीं माँ इस जहान में,
तुम क्यों जा बैठी हो आसमान में,
* * * * *
अपनी माँ की बात सुन जरा गौर से,
मैं सब-कुछ देखती रहती हूँ बैठकर दूर से,
बुरा मत मानना तुम किसी की बात का,
बस इतना सा ही सफ़र लिखा था,
हम दोनों के साथ का,
हम मोहरें हैं खेल कोई और खेलता है,
जिसके जैसे कर्म हैं वो वैसे ही झेलता है,
जब भी तुम्हारा मन हो मुझसे मिलने का,
रात को घर की छत पर आ जाया करो,
तुम आसमान की और देखकर,
अपने कोमल हाथ उठाया करो,
आँखे बंद करके तुम देखना आसमान में,
माँ की यादें ( maa ki yaaden ) अब मेरा जीवन,
बुझा-बुझा सा रहता है अब मेरा मन,
मेरा कोई नहीं माँ इस जहान में,
तुम क्यों जा बैठी हो आसमान में,
* * * * *
जो भी आसमान में सबसे बड़ा सितारा होगा,
उस सितारे में तुम्हारी माँ का चेहरा होगा,
अपनी आँखों को बंद करके मुझे पुकारना,
अपने अंदर के दिव्य नयनों से मुझे निहारना,
सच माँ तुम्हारे आने से,तुम्हारे मुस्कराने से,
मेरा मुख भी चमकने लगा है,
आज से तुम मेरे आस-पास रहोगी,
माँ ये आपके लाल को पता है,
मेरी खुशी का आज कोई छोर नहीं है,
मेरे जैसा खुश किस्मत आज कोई और नहीं है,
माँ क्या तुम हर रोज चली आओगी,
मेरे एक बार बुलाने से,
माँ की यादें ( maa ki yaaden ) अब मेरा जीवन,
बुझा-बुझा सा रहता है अब मेरा मन,
मेरा कोई नहीं माँ इस जहान में,
तुम क्यों जा बैठी हो आसमान में,
* * * * *
creation-राम सैणी
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