मुझे सौगंध माँ दुनिया बनाने वाले की,
सूरज के चमकते उजाले की,
ये तेरी परवरिश का है कमाल,
तुम जान लेती थी जैसे मेरे दिल की बेचैनी (Dil ki bechaini ) ,
मैं भी वैसे ही जान लूंगा तेरे दिल का हाल,
* * * * *
नजर हो गई है माँ की थोड़ी कमजोर,
अब उसे कम सुनाई पड़ता है,
इस दुनिया का शोर,
मैं आँखें बनकर रहूंगा माँ की,
हर राह को मैं बतलाऊंगा,
हर एक बात जो माँ सुन नहीं सकती,
मैं उसे धीरे -धीरे सुनाऊंगा ,
मेरे दिल में जगती है उसके प्यार की लौ,
ये माँ-बेटे के बन्धन का है मोह,
ये कैसा है बंधन है कैसी है करामात,
उस दुनिया के रखवाले की,
मुझे सौगंध माँ दुनिया बनाने वाले की,
मुझे सौगंध माँ दुनिया बनाने वाले की,
सूरज के चमकते उजाले की,
ये तेरी परवरिश का है कमाल,
तुम जान लेती थी जैसे मेरे दिल की बेचैनी (Dil ki bechaini ) ,
मैं भी वैसे ही जान लूंगा तेरे दिल का हाल,
* * * * *
कभी माँ भी मुझको समझ लेती थी बिन बोले,
मेरे दिल के समंदर की लहरों को,
अनुमान लगा लेती थी माँ एक पल में,
मेरे चेहरे की देखकर लकीरों को,
माँ को कब क्या चाहिए ये मुझको है पता,
ये हाथ उसकी सेवा मे उठेंगे सदा,
वो पेड़ है छाँव का एक हरा-भरा,
मैं उस पेड़ की हूँ एक छोटी सी डाल,
मुझे सौगंध माँ ऊपरवाले की,
सूरज के चमकते उजाले की,
ये तेरी परवरिश का है कमाल,
तुम जान लेती थी जैसे मेरे दिल की बेचैनी (Dil ki bechaini ) ,
मैं भी वैसे ही जान लूंगा तेरे दिल का हाल,
* * * * *
सूरज का चमकता उजाला माँ,
हमारे आंगन में बिखरा रहता है
वो ऊपरवाला भी तुम्हारी शक्ल में,
हमारे आंगन में घूमता रहता है,
चाँद भी चाँदनी बरसाने के बहाने,
माँ तेरे पाँव को छूकर जाता है,
तेरी ममता में माँ कशिश है इतनी,
तेरे आगे हर सर झुक जाता है,
उस झूके हुए सर को माँ,
तुम कर दो अपनी ममता से मालामाल,
मुझे सौगंध माँ दुनिया बनाने वाले की,
सूरज के चमकते उजाले की,
ये तेरी परवरिश का है कमाल,
,तुम जान लेती थी जैसे मेरे दिल की बेचैनी (Dil ki bechaini ) ,
मैं भी वैसे ही जान लूंगा तेरे दिल का हाल,
* * * * *दिल की बेचैनी (Dil ki bechaini ) और माँ : माँ मेरी धड़कन
अपनी छड़ी पकड़ने से पहले,
तुम मेरे हाथों को पकड़कर चलना माँ,
जब चाहोगी तुम ठण्डी हवाओं से बातें करना,
मेरी उंगली पकड़कर बाहर निकलना माँ,
ठण्डी हवाओं से बातें करके,
जब जी भर जाएगा तुम्हारा माँ,
बस तुम पुकारना धीरे -धीरे,
तुम को घर के अंदर ले जाऊंगा मैं दोबारा माँ,
मैं जकडा हूँ तुम्हारी ममता में कुछ ऐसा,
जैसे मकड़ी जकड़ी होती है जाले की,
मुझे सौगंध माँ दुनिया बनाने वाले की,
सूरज के चमकते उजाले की,
ये तेरी परवरिश का है कमाल,
तुम जान लेती थी जैसे मेरे दिल की बेचैनी (Dil ki bechaini ) ,
मैं भी वैसे ही जान लूंगा तेरे दिल का हाल,
* * * * *
माँ तेरी धड़कन को मैं पहचान लूं,
तेरे बिन बोले सब जान लूं,
माँ के बिन गुजरता है दिन,
मैं कैसे ये मान लूं,
मैं पड़ लेता हूँ माँ तेरी आँखों की भाषा,
दो अक्षर की माँ की परिभाषा,
मैं तेरा मार्गदर्शक बनूं सदा,
तेरे चरण-कमलों की मिट्टी को,
घर में आए अतिथि को,
उस ऊपरवाले का तोहफा समझूं सदा,
इस ऊपरवाले के तोहफे का,
मै रखूं हर घड़ी ख्याल,
मुझे सौगंध माँ दुनिया बनाने वाले की,
सूरज के चमकते उजाले की,
ये तेरी परवरिश का है कमाल,
तुम जान लेती थी जैसे मेरे दिल की बेचैनी (Dil ki bechaini ) ,
मैं भी वैसे ही जान लूंगा तेरे दिल का हाल,
* * * * *
माँ ये तेरा प्यार तेरा उपकार,
मैं चाहकर भी भूल ना पाऊंगा,
तेरी ममता अनमोल तेरे मीठे से बोल,
मैं चाहकर भी इन से दूर ना जा पाऊंगा,
तेरे जादू वाले हाथों में,
तेरी प्यारी -प्यारी बातों में,
मैं हर घड़ी जकडा रहता हूँ,
माँ तेरे चरण-कमलों को छूने को,
तेरी प्रार्थनाओं को सर पर लेने को,
मैं हर घड़ी तैयार खड़ा रहता हूँ,
मैं एक बंद ताला हूँ लोहे का,
तुम चाबी हो इस ताले की,
मुझे सौगंध माँ ऊपरवाले की,
सूरज के चमकते उजाले की,
ये तेरी परवरिश का है कमाल,तुम जान लेती थी जैसे मेरे दिल की बेचैनी (Dil ki bechaini ) ,
मैं भी वैसे ही जान लूंगा तेरे दिल का हाल,
* * * * *create-राम सैनी
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