माँ की चुप्पी (maa ki chuppi) कुछ कह रही है,
क्यों गुमसुम बनकर रह रही है,
आँखों में नींद नहीं थी माँ के,
जिस माँ ने मुझे सीने पर सुलाया है,
उसके चेहरे से गायब थी हंसी,
जिस माँ ने मुझे हंसना सिखाया है,
* * * * *
आँखों से निकलकर मिट्टी में मिलता रहा ,
माँ की आँखों से बहता पानी,
किस तरह से दिन गुजर रहे हैं,
बता रहा था माँ की आँखों से बहता पानी,
जिस माँ ने निकलने ना दी ,
मेरी आँखों से आंसुओं की धार कभी,
क्या कम पड़ सकता है मेरे लिए,
उस माँ का प्यार कभी,
मेरे मन में चल रहे थे कंई सवाल ,
मुझ पर पड़ने ना दी गमों की धूल कभी,
मेरे कोमल पाँव में चुभने ना दिए,
रास्तों के तीखे शूल कभी,
मेरे जीवन में रंग भरने के लिए,
जिस माँ ने अपना पसीना बहाया है,
माँ की चुप्पी (maa ki chuppi) कुछ कह रही है,
क्यों गुमसुम बनकर रह रही है,
आँखों में नींद नहीं थी माँ के,
जिस माँ ने मुझे सीने पर सुलाया है,
उसके चेहरे से गायब थी हंसी,
जिस माँ ने मुझे हंसना सिखाया है,
* * * * *
मेरे मन में चल रहे थे अजीबो-गरीब ख्याल,
घर में सत्कार की,माँ हकदार थी,
काश मैं दे पाता,
माँ ने जो गंवा दिए हमारे लिए,
अपने जीवन के कीमती पल,
काश मैं वो लौटा पाता,
मैं खुद को माफ ना कर सका,
माँ के आंसू साफ ना कर सका,
जिन आंसूओं को माँ ने बहाया है,
माँ की चुप्पी (maa ki chuppi) कुछ कह रही है,
क्यों गुमसुम बनकर रह रही है,
आँखों में नींद नहीं थी माँ के,
जिस माँ ने मुझे सीने पर सुलाया है,
उसके चेहरे से गायब थी हंसी,
जिस माँ ने मुझे हंसना सिखाया है,
* * * * *
भुखे को हमेशा अन्न दिया,
निर्धन को हमेशा धन दिया,
प्यासे को दिया है पानी,
कर्ज चढ़ा है माँ का मेरी हर सांस पर,
पता नहीं मैं क्यों भूल गया,
उस प्यारी सी सूरत वाली माँ की मेहरबानी,
बिन बोले सब कुछ कह जाए,
ना चाहते हुए भी सब कुछ सह जाए,
वो है मेरे मन को पड़ने वाली,
दुवाओं के हार मेरे गले में डालने वाली ,
क्या अच्छा है क्या बुरा है,
मुझको ये समझाया है,
माँ की चुप्पी (maa ki chuppi) कुछ कह रही है,
क्यों गुमसुम बनकर रह रही है,
आँखों में नींद नहीं थी माँ के,
जिस माँ ने मुझे सीने पर सुलाया है,
उसके चेहरे से गायब थी हंसी,
जिस माँ ने मुझे हंसना सिखाया है,
* * * * *माँ की चुप्पी (maa ki chuppi) : दिल का दर्द
वो है मेरे साथ हमेशा खड़ने वाली,
अपने जीवन के कीमती पल,अभी तो लोरियो का कर्ज भी बाकी है,
माँ के कर्ज है मुझ पर बेहिसाब,
ये तो छोटी सी एक झांकी है,
धनवान मिलेंगे इस दुनिया में बहुत,
पर माँ जैसा धनवान ना मिले कोई,
आगे-पीछे घूमने वाले मिलेंगे बहुत,
पर माँ जैसा इन्सान ना मिले कोई,
इस लिए माँ को रब का रूप बताया है,
माँ की चुप्पी (maa ki chuppi) कुछ कह रही है,
क्यों गुमसुम बनकर रह रही है,
आँखों में नींद नहीं थी माँ के,
जिस माँ ने मुझे सीने पर सुलाया है,
उसके चेहरे से गायब थी हंसी,
जिस माँ ने मुझे हंसना सिखाया है,
* * * * *
मैंने की है माँ हर कदम गलती,
बस एक ग़लती और माफ करो,
मेरी ये गलती माफी के काबिल है या नहीं,
ये हिसाब भी बस आप करो,
मैं मोती हूँ उस माला का,
जिसे पाँव में रोलना पाप होता है,
मैं मनका हूँ उस माला का,
जिसका अमृत वेले में जाप होता है,
मेरा रोम रोम हंसता है जब तूं हंसे माँ,
मेरे सीने में धड़कता है दिल तेरा,
मेरी हर धड़कन में सिर्फ तूं बसे माँ,
माँ ही मेरी पूजा है माँ मेरा साया है,
माँ की चुप्पी (maa ki chuppi) कुछ कह रही है,
क्यों गुमसुम बनकर रह रही है,
आँखों में नींद नहीं थी माँ के,
जिस माँ ने मुझे सीने पर सुलाया है,
उसके चेहरे से गायब थी हंसी,
जिस माँ ने मुझे हंसना सिखाया है,
* * * * *
मुझे भीख में दे दो माँ प्यार अपना,
जहाँ प्यार किया जाता है बिन शर्त,
वो प्यारा संसार अपना,
मुझे भूल अपनी स्वीकार है माँ,
माँ गंगा के जैसा पावन तेरा प्यार है माँ,
माँ का प्यार बरसता है बिन मौसम,
माँ का प्यार है मीठा पानी समंदर का,
दिन-रात जलता है दीया जैसे किसी मंदिर का,
मेरी रगों में दूध माँ का,
लहू बनकर समाया है,
माँ की चुप्पी (maa ki chuppi) कुछ कह रही है,
क्यों गुमसुम बनकर रह रही है,
आँखों में नींद नहीं थी माँ के,
जिस माँ ने मुझे सीने पर सुलाया है,
उसके चेहरे से गायब थी हंसी,
जिस माँ ने मुझे हंसना सिखाया है,
* * * * *
creater-राम सैणी
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