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श्रवण के जैसे संस्कार (sharvan ke jaise sanskar )

श्रवण के जैसे संस्कार (sharvan ke jaise sanskar ) : रिश्ता प्यार का

मै क्यों ना करूं गर्व से सीना चौड़ा,
मेरा बेटा श्रवण के जैसे दिखता है थोड़ा-थोड़ा
उसकी जुबां से बहती है रसधार
उसमे हैं श्रवण के जैसे संस्कार (sharvan ke jaise sanskar ) ,
*      *       *       *        *       *        *         *         *         *

मेरा बेटा है बिल्कुल मेरी परछाई,
शक्ल-सूरत भी मेरे जैसी ही पाई,
उसे एहसास है अपनी जिम्मेदारी का,
थोड़ा शौंक है उसको चित्रकारी का,
कुछ खेल है किस्मत के सितारों का,
कुछ मेरी परवरिश का है असर,
वो सबको अपना बना लेता है,
जिसे देख ले बस एक नजर,
कांटों के पेड़ पर कांटे लगें,
फूलों की क्यारी में फूल खिले,
मानो अच्छे कर्मों का फल मिल गया,
बेटा यदि क़दम से क़दम मिलाकर चले,
उसकी धड़कन से जुड़ी है हमारी धड़कन
दिल से जुड़े हैं दिल के तार,
मै क्यों ना करूं गर्व से सीना चौड़ा,
मेरा बेटा श्रवण के जैसे दिखता है थोड़ा-थोड़ा
उसकी जुबां से बहती है रसधार,
उसमे हैं श्रवण के जैसे संस्कार (sharvan ke jaise sanskar ) ,
*        *       *       *        *       *        *         *         *         *
वो अपनी प्यारी -प्यारी बातों से,
सबका मन मोह लेता है,
वो थोड़ी सी डांट से अपनी आँखें भिगो लेता है,
वो एक प्यारी सी मुस्कान से,
हम सबके दिल को छू लेता है,
उसकी आँखों में सपने रंगीले है,
दिल में प्यार की लौ जले,
उसकी बातों में है एक अपनापन,
बडी माँ को मिलता है हर रोज गले,
फूल बनकर हमारे दिल में रहे,
वो बनता नहीं राहों का रोडा ,
मै क्यों ना करूं गर्व से सीना चौड़ा,
मेरा बेटा श्रवण के जैसे दिखता है थोड़ा-थोड़ा,
उसकी जुबां से बहती है रसधार,
उसमे हैं श्रवण के जैसे संस्कार (sharvan ke jaise sanskar ) ,
*       *       *        *       *        *         *         *         *        *
अच्छी संगत अच्छे संस्कार,
एक दिन जरूर रंग लाते हैं,
रगों में बहता रक्त, मात-पिता का भक्त,
ऐसे बच्चे सब को पसंद आते हैं,
जो मिला मुझको संस्कारों का तोहफा,
मैंने उन्हीं संस्कारों से बेटे को पाला है,
हर दिन रब के आगे सर को झुकाए,
वो हमारे चेहरे का उजाला है,
वो बातें करता है थोडी कम,
पर करता है वजनदार,
मै क्यों ना करूं गर्व से सीना चौड़ा,
मेरा बेटा श्रवण के जैसे दिखता है थोड़ा-थोड़ा
उसकी जुबां से बहती है रसधार,
उसमे हैं श्रवण के जैसे संस्कार (sharvan ke jaise sanskar ) ,
*       *       *        *       *        *         *         *        *     *

श्रवण के जैसे संस्कार (sharvan ke jaise sanskar ) :

हम दोनों का रिश्ता है एक मित्र के जैसे,
वो खुशबू बिखेरे घर के हर कोने में,
एक सुगंधित इत्र के जैसे,
हर बात करे समझदारी से,
हर बात में उसकी दम है,
सबकी सुनता है मन लगाकर,
पर बोलता थोड़ा कम है,
दिल जीत लेता है सबका,
वो अपनी होशियारी से,
हर काम को सिरे लगाए ,
वो अपनी समझदारी से,
आदर करें आदर पाए,
स्वभाव से है वो मिलनसार,
मै क्यों ना करूं गर्व से सीना चौड़ा,
मेरा बेटा श्रवण के जैसे दिखता है थोड़ा-थोड़ा
उसकी जुबां से बहती है रसधार,
उसमे हैं श्रवण के जैसे संस्कार (sharvan ke jaise sanskar ) ,
*       *       *        *       *        *         *         *         *         *
वो माँ के आंचल की है शान,
वो माँ को माने भगवान,
उसके लहू में बसा है,
बड़े-बुजुर्गों का सम्मान,
लोग कहें माहोल नया है,
सब के दिल से गायब दया है,
बच्चे सुने मात-पिता की,
क्या ऐसी कोई दवा है,
जब तूम सूनोगे मात-पिता की
तो ब‌च्चों में भी ये रंग आएगा,
पहल कीजिए आप अभी से,
ये माहोल ब‌च्चों के मन-मंदिर में बस जाएगा,
वो अपनी माँ के करीब है ज्यादा,
वो दिल से निभाए अपना वादा,
हमने ऐसे ही डाले हैं उसमें संस्कार,
मै क्यों ना करूं गर्व से सीना चौड़ा,
मेरा बेटा श्रवण के जैसे दिखता है थोड़ा-थोड़ा
उसकी जुबां से बहती है रसधार,
उसमे हैं श्रवण के जैसे संस्कार (sharvan ke jaise sanskar ) ,
*       *       *        *       *        *         *         *         *         *

बेटी हो या बेटा घर में,
संस्कारों के बीज डालें सदा,
इज्जत करना सिखाएं उन्हें,
ना सबकी इज्जत उछालें सदा,
मेरा गुरूर मेरा जुनून,
वो एक प्यारी कोख का जाया है,
रब पूरी करे उसकी हर विश,
हम-सब के चेहरे की मुस्कान है लविस,
अपनी प्यार की डोर से,
घर में एक -दुजे को है जोड़ा,
मै क्यों ना करूं गर्व से सीना चौड़ा,
मेरा बेटा श्रवण के जैसे दिखता है थोड़ा-थोड़ा
उसकी जुबां से बहती है रसधार,
उसमे हैं श्रवण के जैसे संस्कार (sharvan ke jaise sanskar ) ,
*       *       *        *       *        *         *         *         *         *

creater – राम सैनी

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