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जीत का संगीत (jeet ka sangeet )

हम हार जाएं तो वो फिर से जीता सकता है ,
माँ के बाद हमारा सच्चा हमदर्द,
पिता पुत्र के साथ खड़ा हुआ
जीत का संगीत (jeet ka sangeet )

*     *       *        *
ये तो सिर्फ हमारा ख्याल ही हो सकता है,
कांदे पर अपने हमको बिठाकर,
कांटे हमारी राहों के हटाकर,
फूल हमारी राहों में पिता ही बो सकता है,
साथ चला वो हर पल हमारे,
उबड़-खाबड़ हों चाहे जीवन के रस्ते,
आगे -आगे चलता था बचपन में पिता,
उठाकर हमारे स्कूल के बस्ते,
हाथ पकड़ स्कूल छोड आना,
कभी-कभी आँखें दिखाना,
थोडा नरम थोड़ा गर्म,
मेरे जख्मों का इकलौता मरहम,
जो ना छाने दे मेरे जीवन में अंधेरा,
पिता है मेरे जीवन का उगता सवेरा,
अधूरा है उसके बिन सारा परिवार,
उसके संग है जीवन में रंग बेसुमार,
हंस तो लेता है पिता सबके सामने पर,
दुख में अकेला छुपकर वो ही रो सकता है,
हम हार जाएं तो वो फिर से जीता सकता है ,
माँ के बाद हमारा सच्चा हमदर्द,
*     *       *       *
मेरे जीवन का हर पल हर लम्हा,
बिन पिता के है तन्हा,
पिता प्यार तो करता है पर दिखाता नहीं,
वो कितना भी अकेला हो ,
जीवन में पर किसी से कहता नहीं,
हार ना माने पिता कभी,
जो अपनी मस्त चाल में सदा चलता रहे,
रुकना उसका काम नहीं,
पिता सागर के जैसे सदा बहता रहे,
सबको रखें अपने आँचल की छाँव में,
पीछे मुड़कर ना देखे कभी,
चाहे कितने ही कांटे लगे उसके पाँव में,
मेरी कामयाबी है उसकी मेहनत का परिणाम ,
पिता की मुस्कान है मेरे जीवन का ईनाम,
मेरे जीवन की नाव जब फंस जाएं बीच मझधार ,
मेरी बांह पकड़ कर लगाए,
मुझ को उस मझधार से पार,
हम सबको सुलाए सदा चैन की नींद,
खुद एक पल भी कभी,
चैन की नींद नहीं सो सकता है,
हम हार जाएं तो वो फिर से जीता सकता है ,
माँ के बाद हमारा सच्चा हमदर्द,
सिर्फ पिता ही हो सकता है,
*   *     *      *     *
माँ के सर का अभिमान पिता,
मेरे सपनों की जान पिता,
मेरी रग-रग में बसा है खून उसका,
मेरे सपनों को पूरा करना जनून है उसका,
जीवन को मेरे दिया है एक नया मुकाम,
उसके नाम से जुडा है मेरा नाम,
ना सुबह देखा ना श्याम,
मेरे सपने पूरे किए हैं तमाम,
वो रखता खबर मेरे हर-पल की,
पिता करता है चिंता,
मेरे आने वाले कल की,
पिता मुझे बनाकर रखता है बादशाह,
खुद ना उसे परवाह कोई  ,
हर सितम झेल जाता है वो मसीहा,
उसके दिल से ना निकले आह कोई,
होंगे मेरे बहुत चाहने वाले पर,
उसके जैसा नहीं कोई हो सकता है,
हम हार जाएं तो वो फिर से जीता सकता है ,
माँ के बाद हमारा सच्चा हमदर्द,
सिर्फ पिता ही हो सकता है,
*      *       *       *

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