मैं पिता की दौलत (pita ki daulat ) पर नहीं जीता हूँ,
खुद कमाकर खाने वाला हूँ,
मैं नहीं डरता हूँ आँधी-तुफानों से,
मैं तुफानों को भी हराने वाला हूँ,
* * * * *
आँधी-तुफान डराएंगे उसको,
जिसे पिता की दौलत मिली हो विरासत में,
जो इन्सान तपती धूप ना सह पाएं,
हर घड़ी रहा हो पिता की हिफाजत में,
जो बच्चों के जैसे तड़फ उठे,
चुभने पर एक छोटी सी शूल,
वो मेहनत के पसीने की महक क्या जाने,
जो साफ करता हो बार -बार,
अपने कपड़ों पर पड़ी हुई धूल ,
मैं मात-पिता को ही ,
अपना सब-कुछ मानने वाला हूँ,
मैं पिता की दौलत (pita ki daulat ) पर नहीं जीता हूँ,
खुद कमाकर खाने वाला हूँ,
मैं नहीं डरता हूँ आँधी-तुफानों से,
मैं तुफानों को भी हराने वाला हूँ,
* * * * *
पिता के साये में जीना हो सकता है,
ईश्वर का एक उपहार,
सामना करना पड़ जाए,
हालातों का पिता के बिना,
वो बिना लड़े मान लेते हैं हार,
जो रहते हैं शेर बनकर,
जब तक है पिता का साथ,
माथे से पसीना टपकने लगता है,
सामने देखकर एक अंधेरी रात,
मैं दिल में प्यार के दीप जलाने वाला हूँ,
मैं पिता की दौलत (pita ki daulat ) पर नहीं जीता हूँ,
खुद कमाकर खाने वाला हूँ,
मैं नहीं डरता हूँ आँधी-तुफानों से,
मैं तुफानों को भी हराने वाला हूँ,
* * * * *
पिता को रखिए ढाल बनाकर,
मत चलिए बैशाखी बनाकर,
खुद तलाशना राहें अपनी
जिन राहों पर चलना है,
मत करना मजबूर उन्हें,
अपने चेहरे की उदासी दिखाकर,
तुफानों से लड़कर माँ ने,
तपती धूप में पाला है,
खुद बनाया है रास्ता मैंने,
जब से होश संभाला है,
जो संस्कार मिले हैं माँ से मुझे,
मैं उन संस्कारों पर चलने वाला हूँ,
मैं पिता की दौलत (pita ki daulat ) पर नहीं जीता हूँ,
खुद कमाकर खाने वाला हूँ,
मैं नहीं डरता हूँ आँधी-तुफानों से,
मैं तुफानों को भी हराने वाला हूँ,
* * * * *
पिता की दौलत (pita ki daulat ) : एक अलग सरूर
बचपन में ही उठ गया था,
मेरे सर से पिता का साया,
माँ ने फिर आगे बढ़कर,
घर का बोझ उठाया,
मैंने सीखा माँ से काँटो संग रहकर,
फूलों के जैसे महकना,
गर्म -सर्द हवाओं में भी,
चीडियो के जैसे चहकना,
ग़लत राह नहीं दिखाता किसी को,
हमेशा राह में गिरे हुए को उठाता हूँ,
मैं पिता की दौलत (pita ki daulat ) पर नहीं जीता हूँ,
खुद कमाकर खाने वाला हूँ,
मैं नहीं डरता हूँ तुफानों से,
मैं तुफानों को भी हराने वाला हूँ,
* * * * *
मुश्किलें क्या रास्ता रोकेंगी मेरा,
उनसे तो चोली-दामन का साथ है,
माँ ने रूकना नहीं सिखाया कभी,
ये मेरी माँ के प्यार की सौगात है,
टेढ़े-मेढ़े रास्तों पर हमेशा,
माँ के आशीर्वाद से चलता हूँ,
हल्की सी मुस्कान होती है चेहरे पर,
मैं जब भी उनसे मिलता हूँ,
पता नहीं क्या खोया क्या पाया है,
पर आज तक किसी का दिल नहीं दुखाया है,
मैं अपने माता-पिता के आशीर्वाद से,
अपनी सोई हुई किस्मत जगाने वाला हूँ,
मैं पिता की दौलत (pita ki daulat ) पर नहीं जीता हूँ,
खुद कमाकर खाने वाला हूँ,
मैं नहीं डरता हूँ आँधी-तुफानों से,
मैं तुफानों को भी हराने वाला हूँ,
* * * * *
मैं सपनों में नहीं जीता हूँ,
हर रोज होती है मेरी हकीकत से मुलाकात,
लड़ते रहना है हर घड़ी,
चाहे कैसे भी हों हालात,
अपनी जिम्मेदारी अपने कंधों पर,
उठाना अब आ गया है,
माँ की प्रार्थनाओं का असर,
जब से मेरे जीवन में छाए गया है,
देख-देखकर परिवार को अपने,
मैं हंसकर जीने वाला हूँ,
मैं हर रोज कुआं खोदकर पानी पीने वाला हूँ,
मैं पिता की दौलत पर नहींa ki daulat ) नहीं जीता हूँ,
खुद कमाकर खाने वाला हूँ,
मैं नहीं डरता हूँ तुफानों से,
मैं तुफानों को भी हराने वाला हूँ,
* * * * *
creater -राम सैनी
must read : फुर्सत के दो पल (fursat ke do pal) : वक्त की मिठास
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बहुत ही सुन्दर सृजन
वाह!!!
धन्यवाद जी
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