संस्कारी बेटी का गर्व (sanskari beti ka garv)
संस्कारी बेटी का गर्व (sanskari beti ka garv) है खुद पर , समाज में ये चलेगा कब तक , दहेज […]
संस्कारी बेटी का गर्व (sanskari beti ka garv) है खुद पर , समाज में ये चलेगा कब तक , दहेज […]
सच्चा साथी माँ (sachha saathi maa ) के जैसा , क्या कोई हो सकता है दूसरा ऐसा , माँ करती
बोझ पिता के कांधे का, मैं अपने कांधे पर उठाऊं, गहरा प्रेम पिता संग (gahra prem pita sang ) है
पिता का साथ (pita ka sath), जैसे खुशियों की बरसात, चाहे लंबा सफर है फिर कैसा डर है, जब पिता
बिन बच्चों के हर घर सूना, बच्चों संग लगे ये दुनिया प्यारी, रब जाने मेरे आंगन में, कब गुंजेगी बच्चों
नींद में सोते हुए बच्चों पर, माँ की जागती आँखों का पहरा होता है, सच कहते हैं संत-फकीर, माँ
जो समझ गया जीवन का सत्य (jeevan ka Satya), उसे बाकी सब-कुछ लगेगा मिथ्या , ये सब संत-फकीर बताते भी,
सच में वो परिवार है अभागा, जिस परिवार को मिलता नहीं है, बेटी के कन्यादान का सौभाग्य (kanyadan ka saubhagya),
अलगाव की दास्तान ( algaav ki dastan ) है क्या, ये हम से ज्यादा और कौन जाने भला, माँ-बाप को ही
माँ बनने का वो पल कितना खास था मेरा, पहली बार माँ बनना कितना प्यारा एहसास था मेरा, माँ बनने