मात-पिता हैं दूध के जैसे,
फिर तेरा रंग क्यों अंधियारा-सा,
क्यों उदास-सा मुख है तेरा,
तेरे मात-पिता का मुख (maat-pita ka mukh ) तो है प्यारा-सा
* * * * * * * *
माँ डाले नयनों में काजल,
उसको पसंद हैं काले-काले बादल,
काले रंग के पेड़ पसंद हैं,
वो गले में डाले काला धागा,
सब रंगों से प्यार है माँ को,
पर काले रंग से सबसे ज्यादा,
माँ जिस चूल्हे पर रोटी बनाएं,
उस चूल्हे का तवा है काला,
मेरी मुख पर काला तिल देखकर,
माँ मुझे बोले किस्मत वाला,
सच बोले माँ सदा सच्चाई की वो मूरत है,
उसके प्यार का कोई दायरा है क्या,
मात-पिता हैं दूध के जैसे,
फिर तेरा रंग क्यों अंधियारा-सा,
क्यों उदास-सा मुख है तेरा,
तेरे मात-पिता का मुख (maat-pita ka mukh ) तो है प्यारा-सा
* * * * * * * *रंग अंधियारा सा है तो क्या हुआ,
दिल से मैं हूं धनवान ,
दिल साफ है दूध के जैसा,
मेरा साथी है भगवान,
गोरे रंग को बुरी बला से बचाए टीका काला,
काले -गोरे का संगम देखकर,
हंसता होगा ऊपरवाला,
आँखें बंद करो तो दिखता है रंग काला,
मेरी माँ को पसंद है रंग काला,
ये रंग नहीं है कभी बदलने वाला,
मेरी माँ ने तराशा है मुझको,
क्या माँ से बढ़कर कोई प्यारा है क्या,
मात-पिता हैं दूध के जैसे,
फिर तेरा रंग क्यों अंधियारा-सा,
क्यों उदास-सा मुख है तेरा,
तेरे मात-पिता का मुख (maat-pita ka mukh ) तो है प्यारा-सा ,
* * * * * * * *मेरे पिता का स्वभाव है खुश-मिजाज,
वो खुशियां बांटता है बेहिसाब,
परिवार से है उसका गहरा लगाव,
उसको खामोशी पसंद है,
वो बातूनी लोगों से दूर रहता है,
उसके हाथों में लकीरें भाग्य की शायद कम हों,
वो मेहनत में हमेशा चूर रहता है,
मेरा खामोशी भरा चेहरा,
कुछ -कुछ पिता से मेल खाता है,
ये खामोश-सा चेहरा मेरी माँ को बहुत भाता है
,माँ बोले कभी लगता है तूं चाँद का टुकडा,
कभी चमकता सितारा -सा,
मात-पिता हैं दूध के जैसे,
फिर तेरा रंग क्यों अंधियारा-सा,
क्यों उदास-सा मुख है तेरा,
तेरे मात-पिता का मुख (maat-pita ka mukh ) तो है प्यारा-सा ,
* * * * * * * *मात-पिता का मुख (maat-pita ka mukh ) प्यारा-सा : लाखों में एक
मां बोले आंखों का तारा,
पिता बोले तूं मेरा सहारा,
तेरे चेहरे की चमक से ही आंगन रौशन रहता है हमारा,
मेरा चेहरा है लाखों में एक,
ये मेरी माँ का कहना है,
कोई लाख बुराई करे पीठ पीछे,
मुझे हमेशा चलते रहना है,
दिल में जोश चेहरे पर भोलापन,
मेरे पिता ने सिखाया है सबसे अपनापन,
रंग -रूप और नयन-नक्ष,
सब ईश्वर के हाथ है,
ईश्वर पर है जोर हमारा क्या,
मात-पिता हैं दूध के जैसे,
फिर तेरा रंग क्यों अंधियारा-सा,
क्यों उदास-सा मुख है तेरा,
तेरे मात-पिता का मुख (maat-pita ka mukh ) तो है प्यारा-सा ,* * * * * * * *
सच में मेरे माता-पिता का मुख प्यारा है,
मुझे मात-पिता का सुख प्यारा है,
मेरी माँ का रंग है सबसे प्यारा,
जैसे आंगन में सूरज का उजियारा ,
माँ के चेहरे पर जो उजियारा है,
ऐसा ही दिल के अंदर भी है,
इस प्यारे चेहरे को देखने का,
अपना एक आंनद भी है,पिता आंगन में बैठा हुआ यूं लगता है,
जैसे किसी संत के चेहरे से,
प्रकाश फैल रहा हो,
उसके ऐसे शांत देखकर ऐसे लगता है,
जैसे मेरे अंदर उल्लास फैल रहा हो,
वो हाथ हिलाकर बातें करता है,
जल्दी-जल्दी जब ऊपर-नीचे सांसें करता है,
मैं समझ जाता हूँ की वो नाराज़ हो रहा है,
मुझे यूं लगता है जैसे बादलों का मन,
बरसने को आज हो रहा है,
पिता पानी है सदा बहने वाला,
ये पानी कभी ठहरा है क्या,
मात-पिता हैं दूध के जैसे,
फिर तेरा रंग क्यों अंधियारा-सा,
क्यों उदास-सा मुख है तेरा,
तेरे मात-पिता का मुख (maat-pita ka mukh ) तो है प्यारा-सा
* * * * * * * *creater – राम सैनी
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