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एक और जिम्मेदारी (ek aur jimmedari)

एक और जिम्मेदारी (ek aur jimmedari) : एक नई सौगंध

माँ कौन कहे मैं बदल गया हूँ
मैने एक और जिम्मेदारी (ek aur jimmedari) उठाई है,
मुझे रखना पड़ता है ख्याल उसका भी,
जो मेरे लिए अपनी पूरी दुनिया छोड़कर आई है,
*        *        *       *         *        *         *
तुम दौड़े चले आते थे,
माँ की सुनकर एक आवाज ,
क्या ऐसा ही होगा,
मेरे आने वाले दिनों का आगाज,
शायद मेरा सपना अब टूट गया है,
मेरा जाया मेरे हाथों से,
शायद अब छूट गया है,
जो कभी मेरे हाथों से खाया करता था,
जो माँ को ही रब बताया करता था,
आज वो बेटा अपने पथ से डोल रहा है,
दिल में कुछ ओर जुबान से कुछ ओर,
वो बेटा आज बोल रहा है,
रब जाने ये कैसी घड़ी आई है,
माँ कौन कहे मैं बदल गया हूँ
मैने एक और जिम्मेदारी (ek aur jimmedari) उठाई है,
मुझे रखना पड़ता है ख्याल उसका भी,
जो मेरे लिए अपनी पूरी दुनिया छोड़कर आई है,

*        *        *       *         *        *         *
शायद तुम्हें याद नही है,
बचपन में गुजारी जो रातें,
तुम्हें चैन की नींद सुलाने के लिए,
सारी रात जागती थी ये आँखें,
तुम्हारी सुनकर मैं एक किलकारी,
अपना खाना -पीना सब भूल जाती थी,
मुझे तब सुकून मिलता था,
जब चेहरे पर तुम्हारे एक मुस्कान आ जाती थी,
मेरा दिन गुजरता था तुम्हारी देख-रेख में,
रातें भी आँखों में बिताई है,
माँ कौन कहे मैं बदल गया हूँ
मैने एक और जिम्मेदारी (ek aur jimmedari) उठाई है,                                                                     
मुझे रखना पड़ता है ख्याल उसका भी,
जो मेरे लिए अपनी पूरी दुनिया छोड़कर आई है,
*        *        *       *         *        *            *
मैं कल भी वो ही था जो आज हूँ माँ,
तुम कल भी मेरे सर का ताज थी,
आज भी सर का ताज हो माँ,
जल बिन मछली है क्या,
माँ जैसी प्रीत कहीं मिलती है क्या,
तुम्हारी प्रीत के आगे छोटा पड़ता है,
ये सारा नीला आसमां,
मेरी धड़कनें धड़कती है ,
माँ तुम्हारा प्यारा मुख देखकर,
जैसे तुम ख़ुश रहती हो माँ मेरा सुख देखकर,
तुम आज भी बसी हो माँ मेरे मन मंदिर में,
तुम जब भी हंसी हो माँ,
खुश हो जाता है मेरा मन अंदर से,
तेरी सूरत तो माँ मेरी हर धड़कन में समाई है,
माँ कौन कहे मैं बदल गया हूँ
मैने एक और जिम्मेदारी (ek aur jimmedari) उठाई है,
मुझे रखना पड़ता है ख्याल उसका भी,
जो मेरे लिए अपनी पूरी दुनिया छोड़कर आई है,

*          *          *         *           *           *

एक और जिम्मेदारी (ek aur jimmedari) : दो रिश्ते

 

एक और जिम्मेदारी (ek aur jimmedari)
एक और जिम्मेदारी (ek aur jimmedari)

मैंने रब से पहले माँ तुमको ही पूजा है,
मेरी सफल जिंदगी की माँ तूं ही वजह है,
माँ तेरा-मेरा रिश्ता सबसे जुदा है,
तुम ही मेरा रब है तूं ही ख़ुदा है,
भला कोई कैसे भूल सकता है,
माँ के त्याग और बलिदान को,
मैं सबसे उपर रखता हूँ माँ के सम्मान को,
मेरे दिल के हर कोने में,
माँ तूं प्यार के दीपक की लौ बनकर समाई है,
माँ कौन कहे मैं बदल गया हूँ
मैने एक और जिम्मेदारी (ek aur jimmedari) उठाई है,
मुझे रखना पड़ता है ख्याल उसका भी,
जो मेरे लिए अपनी पूरी दुनिया छोड़कर आई है,
*        *        *       *         *        *          *
मेरे कांधों पर आज से माँ,
एक और जिम्मेदारी आईं हैं,
उसके सुख-दुख का ख्याल रखना,
ये भी मेरे हिस्से आई है,
माँ का कर्ज परिवार का फर्ज,
मैंने दोनों साथ निभाने हैं,
माँ उसके लिए है इस घर में,
अभी सब-कुछ नया-नया,
एक प्यारी सी डोर जुड़ी है,
हम दोनों के दरमियान,
परिवार की गाड़ी खींचने की,
हम दोनों ने सौगंध उठाईं है,
माँ कौन कहे मैं बदल गया हूँ
मैने एक और जिम्मेदारी (ek aur jimmedari) उठाई है,
मुझे रखना पड़ता है ख्याल उसका भी,
जो मेरे लिए अपनी पूरी दुनिया छोड़कर आई है,

*            *            *            *           *        *
माँ तुम्हारा कद है सबसे ऊँचा,
तुम्हारा हर आदेश सर आँखों पर,
प्यार झलकता रहना चाहिए,
तुम दोनों की बातों पर,
तुम दो किनारे हो समंदर के,
मैं बीच में बहता पानी हूँ,
तुम दोनों हों विद्वान बड़े,
शायद मैं थोड़ा सा अज्ञानी हूँ,
तुम दोनों हों गुरूर मेरा,
तुम ही मेरी नेक कमाई हो,
माँ कौन कहे मैं बदल गया हूँ
मैने एक और जिम्मेदारी (ek aur jimmedari) उठाई है,
मुझे रखना पड़ता है ख्याल उसका भी,
जो मेरे लिए अपनी पूरी दुनिया छोड़कर आई है,
*        *        *       *         *        *        *

creater – राम सैनी

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