इस घर से है मुझे प्यार बहुत,
ये घर मेरी माँ की निशानी (maa ki nishani) है,
इस घर में मेरा बचपन गुजरा,
इसमें गुजरी माँ की पूरी जिंदगानी है,
* * * * *
ये घर नहीं है हमारा ,
ये एक प्यार का मंदिर है,
यहाँ सर झुकते हैं माँ के चरणों में,
माँ की मूरत बस्ती थी हर दिल के अंदर है,
छोटे-बड़े का लिहाज करना,
माँ ने हम-सब में ऐसे डाले हैं संस्कार,
गरीब हो या अमीर कोई,
संत हो या फकीर कोई,
सब के लिए हैं खुले हमारे घर के द्बार,
यहाँ परींदों को भी पानी डाला जाता है,
पेट भरने के लिए उनको दाना डाला जाता है,
इस घर में है सब अहिंसा के पूजारी,
यहाँ एक चींटी की जान को भी संभाला जाता है,
ये सब मेरी माँ की महानता की निशानी है,
इस घर से है मुझे प्यार बहुत,
ये घर मेरी माँ की निशानी (maa ki nishani)है,
इस घर में मेरा बचपन गुजरा,
इसमें गुजरी माँ की पूरी जिंदगानी है,* * * * *
इस घर में हर सुबह सुनाई पड़ती है,
पूजा की घंटियों की मधुर आवाज़,
यहाँ भगवान का नाम लेकर होता है,
हर शुभ काम का आगाज,
इस घर में माँ रहती है,
हर पल हंसती-मुस्कुराती हुई,
उसके चरणों में ही हम सबको,
पूरी उम्र बितानी है,
इस घर से है मुझे प्यार बहुत,
ये घर मेरी माँ की निशानी (maa ki nishani)
इस घर में मेरा बचपन गुजरा,
इसमें गुजरी माँ की पूरी जिंदगानी है,
* * * * *इस घर के हर कोने में,
माँ की यादों का बसेरा है,
उसका मुख देखकर ही दूर होता है,
हमारी आँखों के आगे का अंधेरा है,
माँ देख-देखकर खुश होती है,
घर में खुशियों के उजाले को,
धूप रहे या छाँव यहाँ,
वो हर पल धन्यवाद करती है ऊपरवाले को,
ये माँ का ही विश्वास था,
आज एक प्यारा घर हमारे पास था,
बड़ा मुश्किलों भरा गुजरा है,
हमारा जीवन पिछला सारा,
इस लिए ये घर माँ को प्राणों से भी है प्यारा,
मेरी माँ का दिल दरिया है,
उसके हौसलें आसमानी हैं,
इस घर से है मुझे प्यार बहुत,
ये घर मेरी माँ की निशानी (maa ki nishani) है,
इस घर में मेरा बचपन गुजरा,
इसमें गुजरी माँ की पूरी जिंदगानी है,
* * * * *माँ की निशानी (maa ki nishani ) : माँ के स्नेह की ज्योति
जिसने गुज़ारा हो जीवन ,
खुले आसमान के नीचे,
यहाँ कोई नहीं था साथ देने वाला,
सब हाथ पकड़ पीछे खींचे,
ये घर है सबसे प्यारा,
ये घर है संसार हमारा,
माँ ने कैसे खड़ा किया है ये घर,
हम-सब ने सुना माँ की जुबानी है,
इस घर से है मुझे प्यार बहुत,
ये घर मेरी माँ की निशानी (maa ki nishani) है,इस घर में मेरा बचपन गुजरा,
इसमें गुजरी माँ की पूरी जिंदगानी है,
* * * * *
हमारे घर के आंगन में लगा है,
एक पेड़ पुराना बरगद का,
चहचहाते परींदों का घर है
ये पेड़ पुराना बरगद का,
माँ डांटती जब हक जताकर,
यूं लगे जैसे एक घूट पी लिया हो,
मीठे शीतल शरबत का,
अपनी मेहनत के रंग से,
माँ ने रंग दिया है घर का कोना-कोना,
माँ ने हम सबको सिखा दिया है,
अपनी जिम्मेदारियों का बोझ ढोना,
माँ के आँचल में छूप जाती है,
हमारी हर नादानी है,
इस घर से है मुझे प्यार बहुत,
ये घर मेरी माँ की निशानी (maa ki nishani)है,
इस घर में मेरा बचपन गुजरा,
इसमें गुजरी माँ की पूरी जिंदगानी है,
* * * * *
माँ को बहुत खुशी मिलती है,
घर में खुशी के दीप जगते देखकर,
वो फूली नहीं समाती है,
सबसे हंसते चेहरे देखकर,
घर बिन जीना बेकार,
माँ है तो पूरा परिवार,
माँ की हर बात दिल पर एक छाप छोड़े,
उसकी हर बात लगती शयानी है ,
इस घर से है मुझे प्यार बहुत,
ये घर मेरी माँ की निशानी (maa ki nishani) है,
इस घर मेरा बचपन गुजरा,
इसमें गुजरी माँ की पूरी जिंदगानी है,
* * * * *
creater-राम सैणी
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