सच को झूठ कैसे बना लेती हो,
क्या इसमें भी तेरा प्यार शामिल हैं माँ,
पेट की भूख (pet ki bhookh ) कैसे छिपा लेती हो,
सच में तेरा कितना बड़ा दिल है माँ,
* * * * *
माँ दिल जीत लेती है प्यारी -प्यारी बातों से,
माँ बच्चों को खिलाकर अपने हाथों से,
खुद पानी पी कर वक्त गुजार लेती है,
भूख नहीं माँ को ये भी एक झूठ है,
माँ ईश्वर का जीता-जागता एक सबूत हैं,
चेहरा फूलों के जैसे खिल जाता है,
जब माँ मेरा बच्चा कह कर पुकार लेती है,
माँ तुम कितनी सफाई से झूठ बोलती हो ,
मुझे पता है मेरी भलाई के लिए झूठ बोलती हो,
सच में माँ तेरे जैसा कोई दूजा नहीं,
मैं चाहकर भी पकड़ नहीं पाता तेरा सच माँ,
पता नहीं मेरी नज़रों कैसे जाती हो तुम बच माँ,
माँ की पूजा से बढ़कर कोई और पूजा नही,
मैं हूँ एक छोटी सी बूंद बारीश की,
तुम मेरा बादल हों माँ,
सच को झूठ कैसे बना लेती हो,
क्या इसमें भी तेरा प्यार शामिल हैं माँ,
पेट की भूख (pet ki bhookh ) कैसे छिपा लेती हो,
सच में तेरा कितना बड़ा दिल है माँ,
* * * * *
मेरे पेट की भूख मिटाई है माँ,
तुम ने हर बार झूठ बोलकर,
मुझे से कोई बात नहीं छुपाई है माँ,
मेरे लिए रख देती हो तुम अपना दिल खोलकर,
तेरे इस झूठ पर मैं वार दूं,
अपना ये जीवन सारा माँ,
क्या मैं चुका पाऊंगा ये उपकार तुम्हारा माँ,
कुछ ना छिपाओ माँ,सच-सच बताओ ,
क्या मैं तुम्हारे इस प्यार के काबिल हूँ माँ,
सच को झूठ कैसे बना लेती हो,
क्या इसमें भी तेरा प्यार शामिल हैं माँ,
पेट की भूख (pet ki bhookh ) कैसे छिपा लेती हो,
सच में तेरा कितना बड़ा दिल है माँ,
* * * * *
तेरा झूठ है कितना प्यारा माँ,
जो सच पर पड़ता है भारी,
यदि भूल से कभी पूछ लिया,
क्यों तेरी आँखों को रंग लाल है माँ,
क्या सोई नहीं हो तुम रात सारी,
तुम ने सच को छूपाकर किया है झूठ उजागर,
सारी रात जागकर तुम ने की है मेरी रखवाली,
जिस माँ को कभी शोर पसंद ना था,
वो ही माँ बच्चों का दिल बहलाती ,
घर में थाली बजाकर,
जिस माँ को घर साफ पसंद था,
वो ही माँ मेरा ध्यान बांटने के लिए,
अब रखतीं हैं घर में खिलोने गिरा कर,
तुम नाराज़ हो जाती थी माँ एक पल में,
जब कोई घर में धूल भरे,
पाँव लेकर होता था दाखिल माँ,
सच को झूठ कैसे बना लेती हो,
क्या इसमें भी तेरा प्यार शामिल हैं माँ,
पेट की भूख (pet ki bhookh ) कैसे छिपा लेती हो,
सच में तेरा कितना बड़ा दिल है माँ,
* * * * *पेट की भूख (pet ki bhookh ) और माँ की सच्चाई : माँ की छाँव
माँ तुम ने सब शौंक अपने बदल लिए,
मेरे चेहरे की मुस्कान के लिए,
वो मुस्कराना ना भी चाहे तो भी मुस्कराती है,
एक छोटी सी जान के लिए,
माँ कम खाती है कम सोती है,
जो सपने में भी हमारी चिंता करें,
इस दुनिया में बस वो माँ ही इकलौती है,
माँ तूं मेरा सुनहरा कल है, तूं मेरा बल है,
तुम बिन मैं निर्बल हूँ माँ,
सच को झूठ कैसे बना लेती हो,
क्या इसमें भी तेरा प्यार शामिल हैं माँ,
पेट की भूख (pet ki bhookh ) कैसे छिपा लेती हो,
सच में तेरा कितना बड़ा दिल है माँ,
* * * * *क्या सच है क्या झूठ है,
ये तो माँ मुझको पता नहीं,
अपने सर ले लेती हो मेरी हर गलती,
जिसमें तुम्हारी कोई खता नहीं,
अपना दुख देख जो मुस्काए,
जो अपने बच्चों की भूख ना सह पाएं,
वो एक माँ ही हो सकती है,
ना थकती ना रूकती है,
ये कैसी उस ईश्वर की शक्ति है,
बदन में दौड़ती है एक बिजली सी,
जब माँ सर पर हाथ रखती है,
मेरे नयन हो जातें हैं मोटे-मोटे,
जब तुम अपने हाथों से,
मेरे नयनों में डालती काजल हो माँ,
सच को झूठ कैसे बना लेती हो,
क्या इसमें भी तेरा प्यार शामिल हैं माँ,
पेट की भूख (pet ki bhookh ) कैसे छिपा लेती हो,
सच में तेरा कितना बड़ा दिल है माँ,
* * * * *
एक झूठ बच्चों का सुन लो,
कोई नहीं मेरी माँ के बराबर,
मेरी माँ,मेरी माँ बोलेंगे मतलब है जब तक,
वो तब तक ही करेंगे माँ का आदर,
माँ झूठ नहीं हर बार सही,
कभी अपने लिए भी जिया करो,
हर घड़ी करतीं हो दुआ मेरे लिए ,
कभी अपने लिए भी दुआ किया करो,
बच्चों के लिए जीए हर पल माँ,
उनके लिए एक मीठा जल है माँ,
सच को झूठ कैसे बना लेती हो,
क्या इसमें भी तेरा प्यार शामिल हैं माँ,
पेट की भूख (pet ki bhookh ) कैसे छिपा लेती हो,
सच में तेरा कितना बड़ा दिल है माँ,
* * * * *
creater-राम सैणी
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