जिस माँ की होती है कोख सूनी,
वो ही माँ जाने सूनी कोख का दुख,
* * * * *
जब ईश्वर की कृपा से हुआ,
मुझे पहली बार एहसास,
वो दिन था मेरी जिंदगी का सबसे ख़ास,
मानो सफल हो गई मेरी कंई जन्मों की तपस्या,
मेरी सूनी कोख को मिला माँ बनने का सुख,
मुझे ऐसे लगा जैसे पूरी हो गई हो,
मेरे जिंदगी की हर समस्या,
ईश्वर ने दिया है मेरे सब्र का मीठा फल,
जब हुई कृपा ईश्वर की,
मेरा संवर गया आज और कल,
हर दिन मेरा कुछ यूं गुजरता है
जैसे कंई वर्षों की प्यासी धरती पर,
घनघोर सावन दिन-रात बरसता है,
जब से हुई है मेरी कोख हरी-भरी,
चाँद-सा रौशन रहता है सदा मेरा मुख,
जिस माँ की होती है कोख सूनी,
वो ही माँ जाने सूनी कोख का दुख,
मैं मुख से बयान नहीं कर सकती हूँ,
* * * * * *
जिस माँ की रहती है कोख सूनी,
घर रहता है औलाद से खाली,
दुनिया के ताने सुन-सुनकर,
सोचने लगती है क्यों ईश्वर ने,
मेरी किस्मत ऐसी लिख डाली,
कैसे करूं मैं सूनी कोख का दर्द बयां,
मुझको लगता है ऐसे,
मेरी जिंदगी का है ये सबसे बड़ा गुनाह,
किस को बताऊं मैं दुख अपना,
औलाद को पाना होता है,
हर माँ का एक मीठा सपना,
हर दिन जीती हूँ मर-मर कर,
आज नहीं तो कल होगी मेरी कोख हरी,भरी,
इतना भरोसा मुझको है ईश्वर पर,
वो सबकी सुनता है एक दिन,
ये सोचकर उसकी चौखट पर,
मेरा भी सर जाता है झुक,
जिस माँ की होती है कोख सूनी,
वो ही माँ जाने सूनी कोख का दुख,
मैं मुख से बयान नहीं कर सकती हूँ,
क्या होता है एक माँ बनने का सुख ,
* * * * *
मै हाथ जोड़कर करती हूँ ,
हे ईश्वर तुझको नमस्कार,
औलाद से खाली ना रहे,
दुनिया में कोई भी परिवार,
मेरे दिल का दर्द छलकता है,
मेरे इन दो नयनों के रस्ते,
हर एक झोली में डाल दें सुख इतना की,
सब के दिन गुजरते रहें हंसते -हंसते,
हर फरयादी की करना तूं दुआ कबूल,
हटा देना उसकी राहों से दुःखों के सब शूल,
माँ बनने का सुख देना हर माँ को,
बिन औलाद के किसी की गोद खाली ना हो,
बेटी मिले या बेटा दोनों को आँचल में छुपाएं,
दोनों हैं देन उसकी मन में ये भरोसा जगाएं,
होठों पर हंसी कायम रहे सुख हों या दुख,
जिस माँ की होती है कोख सूनी,
वो ही माँ जाने सूनी कोख का दुख,
मैं मुख से बयान नहीं कर सकती हूँ,
क्या होता है एक माँ बनने का सुख,
* * * * * *
creater-राम सैणी
must read :मात-पिता की सेवा